शारदीय नवरात्र का छठा दिने मां कात्यायनी की पूजा का विधान बताया गया है. शक्ति के इस रूप की पूजा अगर विवाह योग्य कन्याएं करें तो उनका विवाह शीघ्र हो जाता है और उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है.
तिषाचार्य के अनुसार कोई भी विवाह योग्य कन्या यह पूजन कर सकती है. षष्ठी पूजन को पूर्ण विधि-विधान और श्रृद्धा के साथ करने से व्यक्ति का विवाह एक साल के अंदर ही हो जाता है.
इस दिन प्रातःकाल से ही मां भगवती की अर्चना और पूजन शुरू हो जाता है. इसके लिए किसी विशेष अनुमति अथवा दान आदि का बंधन नहीं है. केवल श्रृंगार सामग्री एवं पूजन सामग्री से माता का पूजन फलदायी होता है.
इस मंत्र का जाप करें:
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
भगवान कृष्ण जैसा पति पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां की पूजा की थी. यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी. इसीलिए वह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. गोपियों द्वारा पढ़ा यह मंत्र विवाह के लिए अत्यंत लोकप्रिय है.
कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी, नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम:||
तिषाचार्य के अनुसार कोई भी विवाह योग्य कन्या यह पूजन कर सकती है. षष्ठी पूजन को पूर्ण विधि-विधान और श्रृद्धा के साथ करने से व्यक्ति का विवाह एक साल के अंदर ही हो जाता है.
इस दिन प्रातःकाल से ही मां भगवती की अर्चना और पूजन शुरू हो जाता है. इसके लिए किसी विशेष अनुमति अथवा दान आदि का बंधन नहीं है. केवल श्रृंगार सामग्री एवं पूजन सामग्री से माता का पूजन फलदायी होता है.
इस मंत्र का जाप करें:
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
भगवान कृष्ण जैसा पति पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने मां की पूजा की थी. यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी. इसीलिए वह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. गोपियों द्वारा पढ़ा यह मंत्र विवाह के लिए अत्यंत लोकप्रिय है.
कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी, नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम:||
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