क्यों केन्द्र सरकार से कर्मचारियों को अभी तक नहीं मिल पाया सातवें वेतन का पूरा फायदा - Seventh pay commission

सातवें वेतन आयोग को लागू हुए लगभग 6 महीने हो चुके हैं लेकिन केन्द्र सरकार से कर्मचारियों को इसका पूरा फायदा अभी तक नहीं मिल पाया है. सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों की सैलरी में 14.27 फीसदी इजाफे की सिफारिश की थी. आइए जानते हैं कैसे केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को नहीं मिल पाया वेतन आयोग की सिफारिशों का पूरा फायदा.
 वेतन आयोग के इजाफे से सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में थोड़ा इजाफा हुआ क्योंकि उनकी मासिक आय में आधे से अधिक का फायदा भत्ते के तौर पर मिलने वाली सैलरी में होता है. उन्हें एचआरए के तहत मिलने वाला पैसा भत्ते में जुड़ता है और यह भत्ता उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा होता है.

 इस भत्ते की फूटी पाई अभी सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को नहीं दी गई है. दरअसल सातवें वेतन आयोग से कर्मचारियों के एलाउंस में वृद्धि को देने की प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए प्रधानमंत्री ने हाई लेवल कमेटी का गठन किया है.

 यह कमेटी अपनी सिफारिश कर चुकी है लेकिन केन्द्र सरकार पहले नोटबंदी और अब राज्यों में चुनाव के चलते अप्रैल से पहले कर्मचारियों को भत्ता देने में असमर्थ है.

 प्रधानमंत्री द्वारा भत्ते पर बनी कमेटी ने सातवें वेतन आयोग द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले एलाउंसेज की संख्या में बड़ी कमी की है. केन्द्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले 196 तरह के अलाउंस से सातवें वेतन आयोग ने 53 अलाउंस को हटा दिया है. वहीं कई अलाउंस को एक-दूसरे में मर्ज कर दिया गया है.

 गौरतलब है कि वेतन आयोग की सिफारिशों से वेतन में हुई वृद्धि कर्मचारियों को दो भाग में दी जाती है. जहां बेसिक सैलरी में बढ़ी हुई सैलरी बैकडेट से उस महीने से दी जाती है जिसमें केन्द्र सरकार सिफारिशों को लागू करती है.

 वहीं बढ़ी हुई सैलरी में भत्ता उस तारीख से दिया जाता है जिस तारीख से सरकार इस भत्ते को देने पर फैसला लेती है. लिहाजा, कर्मचारियों को बेसिक सैलरी में एरियर मिल जाता है वहीं भत्ते में एरियर का कोई प्रावधान नहीं होता.

 आमतौर पर वेतन आयोग की सिफारिशों पर फैसला होने के बाद बेसिक सैलरी में इजाफे के साथ-साथ भत्ते पर भी फैसला कर लिया जाता है और यही केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग का पूरा फायदा होता है.

 अब कयास लगाया जा रहा है कि केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों के भत्ते पर चुनाव प्रक्रिया के बाद फैसला लेगा जिससे उन्हें भत्ते में इजाफा का पैसा अप्रैल 2017 से देना होगा. इसमे कोई एरियर न होने की वजह से कर्मचारियों का मानना है कि केन्द्र सरकार ने भत्ते पर फैसला लेने में देरी की है जिससे उन्हें कई महीनों के भत्तों में इजाफे का नुकसान उठाना पड़ा है.

 गौरतलब है कि वेतन आयोग के इजाफे का सीधा फायदा 47 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों और 53 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा. इसमें सेना के 14 लाख कर्मचारी और 18 लाख पेंशन भोगी भी शामिल हैं. अभी सरकार ज्यादातर कर्मचारियों को सिर्फ बेसिक सैलरी में इजाफे एरियर दे पाई है वहीं अलाउंस की रकम पर फैसला होना बाकी है.

 केन्द्र सरकार का पिछले साल जुलाई में आए नोटिफिकेशन के मुताबिक केन्द्रीय कर्मचारी की न्यूमतम सैलरी 7,000 रुपये प्रति माह से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी. वहीं सीनियर स्तर पर कैबिनेट सेक्रेटरी को 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी मिल सकती है जबकि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले उसे महज 90,000 तक की सैलरी मिलती थी.

लिहाजा, एक बात साफ है कि केन्द्र सरकार द्वारा इस फैसले में लगे समय के चलते वह मौजूदा वित्त वर्ष (2016-17) के बजट से केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को अलाउंस नहीं दे रही है. इससे वेतन आयोग की सिफारिशों से केन्द्र सरकार के खजाने पर पड़े बोझ को सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया और मौजूदा वित्त वर्ष में सरकारी खजाने के लिए बचत करने मे कामयाब हुई है.
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