श्रद्धांजलि -TRIBUTE

दानशीलता एक दृष्टि है,एक नजरिया है कि आप चीजों को किस ढ़ंग से देखते है । दुनिया में प्रत्येक इंसान एक खास प्रयोजन के लिए पैदा होता है। मनुष्य के अंदर तीन बातें शामिल है पहले शरीर फिर मन और अंत में आत्मा। जिनका जीवन किसी विशेष लक्ष्य को लेकर मन को नियंत्रित कर शरीर से विरक्त होकर दूसरे के लिए समर्पित हो वो आत्मा , दिव्यता से भरकर परमात्मा बन जाता है । ऐसी ही दिव्य आत्मा की दास्ता अनुकरणीय है।  ग्राम खेखरा जनपद बागपत उत्तर प्रदेश निवासी हरमाया यादव के सुपुत्र स्वर्गीय कृष्णपाल यादव जिनकी उम्र 46 साल थी ।उन्होंने अपने आखरी साँस 16 फरवरी को मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में लिया ।  कृष्णपाल जी भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस द्वारका दिल्ली स्थित माली के पद पर कार्यरत थे । परिवार में अपनी पत्नी सुनीता देवी प्रथम पुत्र दिनेश और दुतीय पुत्र दीपक को अपने पीछे छोड़ गए है। कृष्णपाल जी भाई में सबसे छोटे थे जिनके बड़े भाई राममेहर यादव जी भी स्वर्ग सिधार चुके है और दूसरे भाई जीतराम यादव उत्तर प्रदेश पुलिस में बुलंदशहर में बतौर सहायक उप- निरीक्षक के पद पर कार्यरत है । कृष्णपाल जी की अकारण मृत्यु की महानता इस बात से लगाई जा सकती है कि मृत्यु के पश्चात उनके परिजनों ने उनके अंग दिल,लिवर, गुर्दा दान किये यह सभी जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने जीवित रहते हुये भी जो सेवाएं की वह तो स्मरणीय है ही किंतु मृत्यु के पश्चात भी अंग दान करना एक महान सेवा है । मृत्यु तो अटल है लेकिन स्वर्गीय कृष्णपाल यादव जी के अंगदान के जरिये इस भोगवादी समाज के लिए यह संदेश है कि यह शरीर समाज का है। उनके परिचित अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष जगदीश यादव जी ने बताया कि समाजसेवा मानव सेवा सर्वोपरि है इनकी मृत्यु अटल से अद्भुत हो गई । उनकी कीर्ति अंगदान करने से उन्हें सदा-सदा के लिए अमर और महान बना गई । परमपिता परमात्मा  उन दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और इस दुःख की घरी में परिजनों को आत्मशक्ति प्रदान करें ।

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