केजरीवाल सरकार ने एलजी अनिल बैजल के दफ्तर पर फाइलें लीक करने का आरोप लगाया है. सरकार के मंत्री मानते हैं कि ऐसा आम आदमी पार्टी की सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने खास तौर पर 97 करोड़ रुपये के विज्ञापन विवाद से जुड़ी फाइलों के लीक होने की जांच करवाने का फैसला लिया है. पिछले उप-राज्यपाल नजीब जंग के साथ भी केजरीवाल सरकार का छत्तीस का आंकड़ा था. हालांकि अनिल बैजल के साथ एमसीडी चुनाव से पहले कुछ दिनों तक कोई टकराव नहीं हुआ लेकिन सरकार के इस फैसले से नया सियासी तूफान खड़ा हो सकता है.
अनिल बैजल को उप-राज्यपाल बने हुए अभी बमुश्किल दो महीने ही हुए हैं. लेकिन सरकार के साथ उनकी कई बार ठन चुकी है. पिछले महीने एलजी ने आम आदमी पार्टी को सरकारी खजाने से 97 करोड़ के विज्ञापन का खर्च चुकाने को कहा था. पार्टी ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था. इससे पहले बैजल ने पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल की फैमिली को 1 करोड़ रुपए मुआवजा देने वाले केजरीवाल सरकार के प्रपोजल को खारिज करते हुए फाइल लौटा दी थी. यही नहीं, उप-राज्यपाल एमसीडी चुनाव बैलेट पेपर से करवाने की आम आदमी पार्टी की मांग को भी ठुकरा चुके हैं. उन्होंने पिछले दिनों केजरीवाल सरकार की खुफिया इकाई को बंद करने का आदेश दिया था. केजरीवाल 'फीडबैक यूनिट' के नाम से इस इकाई को चला रहे थे.
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