बता दें कि पांच बैंकों में विलय के साथ ही एसबीआई ने नई ब्रैंडिंग पहचान पाई है. बता दें कि 1 अप्रैल से एसबीआई के सेविंग खातों में न्यूनमत बैलेंस सीमा बढ़ा दी गई जिसका असर इसके 31 करोड़ खाताधारकों जिनमें पेंशनर्स से लेकर छात्र छात्राएं तक हैं, पर पड़ा. पांच सहयोगी बैंकों के विलय के बाद अब यह बैंक एक बैंक के तौर पर काम कर रहा है. विलय के बाद एसबीआई के ग्राहकों की संख्या 50 करोड़ हो गई है.
अब मासिक आधार पर छह महानगरों में एसबीआई की शाखा में अपने खाते में औसतन 5,000 रुपये रखने होंगे. वहीं शहरी और अर्ध-शहरी शाखाओं के लिए क्रमश: न्यूनतम राशि सीमा 3,000 रुपये और 2,000 रुपये रखी गई है. ग्रामीण शाखाओं के मामले में न्यूनतम राशि 1,000 रुपये तय की गई है. एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार एसबीआई के बचत खाताधारकों को मासिक आधार पर न्यूनतम राशि को अपने खाते में रखना होगा. ऐसा नहीं होने पर उन्हें 20 रुपये (ग्रामीण शाखा) से 100 रुपये (महानगर) देने होंगे. बैंक में 31 मार्च तक बिना चेक बुक वाले बचत खाते में 500 रुपये और चेक बुक की सुविधा के साथ 1,000 रुपये रखने की आवश्यकता थी.
पांच साल के अंतराल के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक अप्रैल से खातों में मिनिमम बैलेंस नहीं रहने पर पेनल्टी वसूलनी शुरू की. खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रहने पर जुर्माना लगाया जाएगा. जुर्माने की यह राशि न्यूनतम बैलेंस और खातों में कम रह गई रकम के अंतर के आधार पर तय की जाएगी. एसबीआई ने इस बाबत एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि महानगरों में अगर खातों में उपलब्ध राशि न्यूनतम बैलेंस के मुकाबले 75 फीसदी से अधिक कम होगी तो 100 रुपये जुर्माना और इस पर सर्विस टैक्स जोड़कर वसूला जाएगा.
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