दिल्ली में 10 फ्लैट का भुगतान सृजन के खातों से सीधे कराए विपिन शर्मा ने - srijan scam vipin sharma bought one dozen flats in delhi

पटना: बिहार के 1200 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. बीजेपी से अब निलंबित और किसान मोर्चा के राज्य उपाध्यक्ष विपिन शर्मा ने एक बार में ही दिल्ली में 10 फ्लैट केवल एक बिल्डर से ख़रीदे थे. जांच एजेंसियों के हाथ पूरे भुगतान से जुड़े 5 करोड़ से अधिक के मनी ट्रेल के कागजात हाथ लगे हैं. इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है. सूत्रों के अनुसार विपिन शर्मा ने दिल्ली के गार्डिनिया बिल्डर के निर्माणाधीन अपार्टमेंट में करीब 5 करोड़ का भुगतान कर 10 फ्लैट बुक कराए थे. विपिन शर्मा ने कुछ फ्लैट अपने नाम जबकि कुछ अपने संबंधियों के नाम से बुक कराए थे लेकिन सबका भुगतान सृजन के खातों से सीधे किया गया.


जांच एजेंसियों की मानें तो पहली ही पूछताछ में भागलपुर निवासी इस कंपनी के निदेशक मनोज राय ने स्वीकार किया और सारे कागजात भी उपलब्ध करा दिए. विपिन शर्मा का दिल्ली और बॉम्बे में जमीन और अपार्टमेंट में और भी निवेश है. ये सारा पैसा सृजन की काली कमाई का हिस्सा है जो सरकारी बैंको से गबन किया हुआ है.


इसके अलावा जांच एजेंसियों के पास इस घोटाले से जुड़े दो और आरोपियों दीपक वर्मा और प्रणब कुमार घोष द्वारा भी जमीन और अपार्टमेंट निर्माण में करोड़ों के निवेश का पता चला है. घोष और वर्मा दोनों मनोरमा देवी के नजदीकी बताए जाते हैं और इनकी 'अंग विहार' नाम की एक कंपनी है जो भागलपुर में कुछ अपार्टमेंट और जमीन के कारोबार के लिए जानी जाती है. घोष पेशे से अकाउंटेंट हैं और सृजन का ऑडिट वही करते थे. पूरे घोटाले  का मास्टरमाइंड भी उन्हीं को माना जा रहा है. मनोरमा देवी को फ़र्ज़ी चेक के पीछे भी उन्हीं का दिमाग बताया जाता है.



वही वर्मा भागलपुर की राजनीती में बीजेपी के सक्रिय नेता रहे लेकिन 2015 का चुनाव उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की टिकट पर लड़ा और हार गए. फ़िलहाल इस घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी पार्टी से निलंबित कर दिया है.



जांच एजेंसियों का असल सिरदर्द यह है कि मामले के मुख्य आरोपी अमित उनकी पत्नी प्रिया, विपिन शर्मा, दीपक वर्मा अब तक फरार हैं. हालांकि उनके खिलाफ काफी पुख्ता सबूत सीबीआई के हाथ लग हैं लेकिन जब तक ये लोग गिरफ्तार नहीं हो जाते तब तक गबन हुई राशि का असल में क्या हुआ और किसने कहां कितना निवेश किया है? इसके बारे में पता नहीं चल पाएगा.
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