दंगे और प्रदर्शनों जैसी चुनौतिपूर्ण हालात से निपटते वक्त वे धैर्य रखें पुलिसकर्मि: राजनाथ सिंह - police can not be cruel they have to be decent rajnath singh

मेरठ : केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को रेखांकित किया कि 21वीं सदी की पुलिस 'बेरहम' नहीं हो सकती है, बल्कि उसे 'सभ्य' बनना होगा और पुलिसकर्मियों से कहा कि दंगे और प्रदर्शनों जैसी चुनौतिपूर्ण हालात से निपटते वक्त वे धैर्य रखें.

मंत्री ने केंद्र और राज्य दोनों पुलिस बलों से अपील की कि प्रदर्शन या दंगे जैसी स्थिति में हंगामा करने वाली भीड़ को 'नियंत्रित करने और उनका ध्यान भटकाने' के लिए समुचित नई तकनीक और मनोवैज्ञानिक समाधान का प्रयोग करें. सिंह ने रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की रजत जयंती समारोह पर जवानों को संबोधित करते हुए उक्त बात कही.

उन्होंने सुरक्षा बलों से कहा कि वह जाति, धर्म और क्षेत्रीयता के आधार पर देश को तोड़ने का प्रयास करने वाली घटनाओं पर प्रभावी निगरानी रखें. उन्होंने कहा, '21वीं सदी की पुलिस बेरहम बल नहीं हो सकती है. उसे सभ्य बल बनना ही होगा. पुलिस बल और जमीनी स्तर पर काम करने वाले जवानों को दंगा और प्रदर्शन कर रही भीड़ से जैसी मुश्किल और चुनौतिपूर्ण स्थिति से निपटने के दौरान धैर्य और नियंत्रण रखना होगा'. केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा, 'मैं समझ सकता हूं कि पुलिस बलों को कभी-कभी सख्ती बरतनी पड़ती है, लेकिन उन हालात में भी विवेक की जरूरत है'.

उन्होंने कहा कि वह पहले ही ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवेलॉपमेंट को कम सख्ती का रास्ता तलाशने को कह चुके हैं. देश की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली के प्रमुख ने बलों को 'न्यूनतम बल' का प्रयोग करके अधिकतम परिणाम पाने को कहा. आरएएफ में अभी दस बटालियन काम कर रहे हैं और वह सांप्रदायिक रूप से और सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील दस शहरों में पदास्थापित हैं.

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों को 10,000 रुपये का भत्ता दिया जाएगा, जिससे वह वर्दी सिलवा सकें. उन्हें सिली-सिलाई वर्दी अब नहीं दी जाएगी. मंत्री ने कहा कि वह इन बलों के 10 लाख कर्मियों की समय पर पदोन्नति सुनिश्चित करने के तरीकों पर 'गंभीरता' से विचार कर रहे हैं.
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