ब्याज दर में कटौती के लिए आरबीआई पर दबाव बना रही है केंद्र सरकार - modi government desperate for rbi repo rate cut upon rising crude and inflation

नई दिल्ली: केंद्र सरकार मार्च 2018 से पहले ब्याज दर में कटौती की कवायद कर रही है. देश की अर्थव्यवस्था में तेजी का अब यही एक रास्ता केंद्र सरकार को नजर आ रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सरकार आरबीआई पर इसके लिए दबाव बना रही है ताकि अगली मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ हो जाए.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार का आकलन है कि महंगाई दर निर्धारित 4 फीसदी के आंकड़े के आसपास रहेगी लिहाजा केन्द्रीय बैंक को प्रभावी ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. अक्टूबर में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने रेपो रेट को 6 फीसदी पर कायम रखा था. रेपो रेट का यह स्तर सात साल का न्यूनतम है. इसे देखते हुए अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि अगले वर्ष की दूसरी तिमाही तक केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में बदलाव को नकारता रहेगा.

वहीं सूत्रों का दावा है कि केन्द्र सरकार ब्याज दरों में कटौती के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं चाहती. लिहाजा उसकी नजर दिसंबर 2017 और फरवरी 2018 में होने वाली मौद्रिक समीक्षा पर है जहां उसे उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती का ऐलान करेगा.



वित्त मंत्रालय इसलिए भी जल्दी में है क्योंकि उसे आशंका है कि इंटरनेशनल मार्केट में लगातार हो रहे क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफे से देश में महंगाई बढ़ सकती है और ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो जाएगा.

गौरतलब है कि अपने 5 साल के कार्यकाल में 3.5 साल तक केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार देने में विफल रही है और आर्थिक गतिविधि बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में बड़ी कटौती का जल्द ऐलान नहीं किया गया तो वह देश में लाखों नौकरियां पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकामयाब हो जाएगी.



वहीं देश में ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए केन्द्र सरकार अपने खजाने से किसी बड़े निवेश का सहारा नहीं ले सकती क्योंकि इससे 14 साल बाद हुए मूडीज रेटिंग में इजाफे पर बुरा असर पड़ने का खतरा है. लिहाजा, केन्द्र सरकार के पास महज एक विकल्प बचा है कि केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में जल्द से जल्द बड़ी कटौती का ऐलान करते हुए निजी क्षेत्र से निवेश का रास्ता साफ करे जिससे देश की अर्थव्यवस्था को तेज किया जा सके.


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