राहुल गांधी की ताजपोशी में रायबरेली अमेठी से आए पार्टी कार्यकर्ता के बीच नजर आईं प्रियंका - priyanka gandhi with raibareli amethi party workers

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष की कमान राहुल गांधी के हाथों में सौंप दी गई है. शनिवार को देशभर के पार्टी नेताओं से लेकर कार्यकर्ता का जमघट कांग्रेस मुख्यालय में लगा रहा. ऐसे में हर मौके पर राहुल के साथ खड़ी नजर आने वाली बहन प्रियंका भला कैसे पीछे रहतीं?

प्रियंका ने राहुल के घर जाकर पहले बधाई दी और मां सोनिया गांधी के साथ पार्टी दफ्तर पहुंचीं. प्रियंका राहुल की ताजपोशी के लिए सजे मंच और पार्टी नेताओं के संग बैठने के बजाए रायबरेली-अमेठी से आए पार्टी कार्यकर्ता के बीच नजर आईं.

बता दें कि कांग्रेस के दुर्ग कहे जाने वाले रायबरेली-अमेठी में मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के लिए जीत की भूमिका बनाने का काम भी प्रियंका गांधी ही करती रही हैं. सोनिया और राहुल देशभर में प्रचार करते हैं, लेकिन रायबरेली में चुनाव प्रचार का कार्यभार का जिम्मा प्रियंका ही निभाती हैं.





शनिवार को राहुल गांधी की ताजपोशी में प्रियंका गांधी अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ शामिल हुईं. कांग्रेस मुख्यालय में प्रियंका ने  रायबरेली-अमेठी से आए पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधी मुलाकात की. इतना ही नहीं, अमेठी के दिग्गज नेता और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डॉ. संजय सिंह, रायबरेली में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा, कल्याण गांधी, गणेश शंकर पांडेय सहित अमेठी और रायबरेली के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की और उन्हीं के बीच बैठकर भाई राहुल गांधी की ताजपोशी देखी. 

मालूम हो कि प्रियंका गांधी खुद राजनीति में नहीं हैं, लेकिन मां सोनिया गांधी और भाई राहुल के लिए हमेशा खेवनहार बनकर सामने आती रही हैं. प्रियंका ने पहली बार साल 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के लिए अमेठी में प्रचार का जिम्मा संभाला था. वह दो सप्ताह अमेठी में रुकी और सोनिया गांधी को लाखों वोटों से जीत दिलाई. साल 1999 में रायबरेली से लड़ रहे कैप्टन सतीश शर्मा की हारती हुई सीट पर प्रियंका ने रोड शो करके जीत में बदल दिया था.



राहुल गांधी ने जब साल 2004 में राजनीति में कदम रखा और अमेठी से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो प्रियंका गांधी ने अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर प्रचार का कार्यभार संभाला. इसके बाद से प्रियंका लगातार रायबरेली और अमेठी दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार करती आ रही हैं. इस दौरान उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन के लोगों के साथ एक मजबूत रिश्ता भी कायम किया.

साल 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा तो प्रियंका गांधी भाई का सहारा बनीं. प्रियंका ने मोदी लहर में भी अमेठी से बीजेपी को जीत से महरुम रखा.





प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में पार्टी संगठन को काफी मजबूत बनाया, जिसकी वजह से आज जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक कांग्रेसी सक्रिय हैं. इतना ही नहीं,  प्रियंका रायबरेली-अमेठी से दिल्ली आने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर वहां के मतदाताओं से सीधे मुलाकात करती हैं. उनकी समस्याओं को सुनती हैं और उनकी हर समस्या हल करने की कोशिश करती हैं.

यही वजह रही कि राहुल की ताजपोशी के दौरान प्रियंका पार्टी के बड़े नेताओं के संग बैठने के बजाए रायबरेली-अमेठी से आए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बैठीं . रायबरेली-अमेठी के लोगों को प्रियंका का यही अंदाज भाता है.
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