नई दिल्लीः संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को धमकी मिली है. दिल्ली पुलिस ने हरीश साल्वे की एक शिकायत के बाद शुक्रवार को एक मामला दर्ज किया. दरअसल, विवादित फिल्म ‘पद्मावत’ से संबद्ध प्रतिवादियों में एक का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने को लेकर उन्हें कथित तौर पर धमकी मिली थी. पुलिस ने बताया कि उन्होंने एक प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच जारी है. न्यायालय ने संजय लीला भंसाली की फिल्म से कथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग करने वाली एक याचिका खारिज कर दी थी.
दरअसल, साल्वे ने शीर्ष न्यायालय में प्रतिवादियों में शामिल एक का प्रतिनिधित्व किया है. पुलिस ने बताया कि उन्हें अपने कार्यालय में धमकी भरा एक फोन कॉल आया था और फिल्म के पक्ष में बोलने को लेकर उन्हें धमकी दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में फिल्म के अन्य निर्माताओं समेत वायकॉम 18 की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्यों के पास फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने जैसी ऐसी अधिसूचना जारी करने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाण पत्र जारी कर चुका है.मामले पर आगे की सुनवाई 26 मार्च को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 'पद्मावत' को सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट को गैर कानूनी बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, 'अदालत, संविधान के अनुसार चलती है और हम कल ही अपने अंतरिम फैसले में यह कह चुके हैं कि राज्य सरकारों के पास किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने का अधिकार नहीं है.' यह याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दाखिल की थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को फिल्म ‘पद्मावत’ की 25 जनवरी को देशभर में रिलीज का रास्ता साफ कर दिया था. शीर्ष अदालत ने गुजरात और राजस्थान में इस विवादित फिल्म के प्रदर्शन पर लगी रोक हटा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अन्य राज्यों पर फिल्म के प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की इस तरह की अधिसूचना या आदेश जारी करने पर रोक लगा दी. इस फिल्म की कहानी 13वीं सदी में महाराजा रतन सिंह एवं मेवाड़ की उनकी सेना और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है.
दरअसल, साल्वे ने शीर्ष न्यायालय में प्रतिवादियों में शामिल एक का प्रतिनिधित्व किया है. पुलिस ने बताया कि उन्हें अपने कार्यालय में धमकी भरा एक फोन कॉल आया था और फिल्म के पक्ष में बोलने को लेकर उन्हें धमकी दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में फिल्म के अन्य निर्माताओं समेत वायकॉम 18 की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्यों के पास फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने जैसी ऐसी अधिसूचना जारी करने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाण पत्र जारी कर चुका है.मामले पर आगे की सुनवाई 26 मार्च को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 'पद्मावत' को सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट को गैर कानूनी बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, 'अदालत, संविधान के अनुसार चलती है और हम कल ही अपने अंतरिम फैसले में यह कह चुके हैं कि राज्य सरकारों के पास किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने का अधिकार नहीं है.' यह याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दाखिल की थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को फिल्म ‘पद्मावत’ की 25 जनवरी को देशभर में रिलीज का रास्ता साफ कर दिया था. शीर्ष अदालत ने गुजरात और राजस्थान में इस विवादित फिल्म के प्रदर्शन पर लगी रोक हटा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अन्य राज्यों पर फिल्म के प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की इस तरह की अधिसूचना या आदेश जारी करने पर रोक लगा दी. इस फिल्म की कहानी 13वीं सदी में महाराजा रतन सिंह एवं मेवाड़ की उनकी सेना और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है.
0 comments:
Post a Comment