मालदीव सुप्रीम कोर्ट ने दिया राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की गिरफ्तारी का आदेश - maldives political crisis supreme court india abdullah yameen nasheed

माले: मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है. हालात ये हो गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. जबकि राष्ट्रपति ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया है. मालदीव की सेना ने रविवार को संसद परिसर को घेर लिया. इस सियासी तूफान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारत समेत दूसरे लोकतांत्रिक देशों से मदद की गुहार लगाई है.



दरअसल, मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत जेल में बंद अन्य कैदियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. मगर, राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने कोर्ट का ये ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया.

कोर्ट ने नशीद समेत 9 राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और 12 संसद सदस्यों को बहाल करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था असंतुष्टों को अवश्य रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा राजनीति से प्रेरित और गलत था.



कोर्ट ने कहा है, 'आदेश का पालन हो जाने और कैदियों को रिहा कर दिए जाने के बाद उनके खिलाफ दोबारा मुकदमा चलाने से महाभियोजक को कुछ भी नहीं रोकता है.'



दरअसल, 12 सांसदों को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी अल्पमत में आ जाएगी. जिसके बाद उनपर महाभियोग का खतरा मंडरा सकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे.



इस बीच, पुलिस ने दो विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार कर लिया है. ये सांसद रविवार को ही स्वदेश लौटे थे.



मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा है कि उन्हें बैठक तक नहीं करने दी गई. सरकार ने सुरक्षाबलों का इस्तेमाल कर उन्हें मीटिंग नहीं करने दी.



मालदीव में लंबे समय से टकराव की स्थिति है. यहां की संसद 'पीपुल्स मजलिस' के अंदर पिछले साल मार्च से सशस्त्र बल तैनात हैं, जब यामीन ने उन्हें अंसतुष्ट सांसदों को निकालने का आदेश दिया था.



सरकार की तरफ से कहा गया है कि, 'राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध होगा. इसलिए पुलिस और सेना से कहा गया है कि किसी भी असंवैधानिक आदेश का अनुपालन न करें.'



मौजूदा विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद मालदीव के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने थे. मार्च 2015 में उन्हें आतंक के आरोपों में 13 साल जेल की सजा सुनाई गई. जिसके बाद अब्दुल्ला यामीन राष्ट्रपति बन गए. बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने नशीद के खिलाफ केस को राजनीति से प्रेरित बताया और उन्हें रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही यामीन की पार्टी से अलग होकर विपक्ष के खेमे में जाने वाले 12 सांसदों की बहाली के आदेश भी सुप्रीम कोर्ट ने दे दिए. अगर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होता है तो मौजूदा राष्ट्रपति की कुर्सी जा सकती है. यही वजह है कि वो आदेश मानने से इनकार कर रहे हैं, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने भारत से लोकतंत्र और संविधान को बचाने में मदद की गुहार लगाई है.

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