12400 करोड़ रुपए से ऊपर है माल्या के संपत्ति की कुल वैल्यू - vijay mallyas ubhl to karnataka high court assets worth rs 12400 crore can clear dues

बेंगलुरु: यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग जो कि शराब कारोबारी विजय माल्या के यूबी समूह की होल्डिंग कंपनी है, ने गुरुवार (8 मार्च) को कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा कि इनके संपत्ति/शेयर की कुल वैल्यू 12400 करोड़ रुपए से ऊपर है, जो कि कंपनी की कुल देनदारी जिसमें कि 6000 करोड़ रुपए का कर्ज भी शामिल है, को आसानी से ब्याज के साथ चुकाया जा सकता है. किंगफिशर कंपनी के साथ भी यही बात लागू होती है क्योंकि यूबीएचएल कॉर्पोरेट गारंटर है जिसके आधार पर कर्ज दिया गया था. कोर्ट से कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी के जिस संपत्ति और शेयर को अटैच किया है, उसकी वजह से कंपनी अपंग हो गई है और किसी भी वैकल्पिक प्रस्ताव के लिए तैयार नहीं है. माल्या के खिलाफ 9,000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप हैं.


बेंगलुरु की एक अदालत ने बीते 19 जनवरी को भगोड़े शराब व्यापारी विजय माल्या और 18 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने इन लोगों के खिलाफ निवेश के लिए तथ्यों को छुपाने का भी आरोप लगाया है. अदालत ने अपने हालिया आदेश में कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत माल्या और अन्य पर धारा 36, धारा 448 और धारा 447 के अंतर्गत संज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया.

माल्या के अलावा, जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ, उनमें यूबी ग्रुप के मुख्य वित्त अधिकारी ए.के.रवि नेदुंगड़ी, डेक्कन एविएशन के प्रमोटर कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ, एंबिट प्राइवेट लिमिटेड के अशोक वाधवा समेत कंपनी से जुड़े कई चार्टर अकाउंटेंड शामिल हैं. बेंगलुरु की अदालत ने अपने आदेश में कहा था, "दंडनीय अपराध को संज्ञान में लेते हुए कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 36 और धारा 448 और 447 के तहत और कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 628 के साथ ही धारा 68 के अंतर्गत मामला दर्ज किया जाता है."

अदालत ने इन अपराधों के लिए एक से 19 नवंबर तक के अभियुक्तों के खिलाफ विशेष आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था, "वर्तमान मामले में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई है. अदालत इसलिए महसूस करती है कि यह वारंट का मामला है, इसलिए अदालत समन जारी करने के बदले, सभी अभियुक्तों के खिलाफ वारंट जारी करती है."



दिल्ली की एक अदालत ने बीते 4 जनवरी को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में शराब कारोबारी विजय माल्या को 'भगोड़ा' घोषित कर दिया था. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सेहरावत ने कहा था, "यह ध्यान में रखते हुए और तथ्यों के आधार पर विजय माल्या 30 दिनों के भीतर अदालत में उपस्थित नहीं हो पाए और न ही उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि अदालत में उपस्थित हो पाया. इसी के मद्देनजर आरोपी माल्या को 'भगोड़ा अपराधी' घोषित किया जाता है.

अदालत ने यह आदेश ऐसे समय दिया जब विशेष अभियोजक एन.के. मेहता ने अदालत को बताया कि इस संबंध में स्थानीय अखबार में अंग्रेजी और कन्नड़ में इश्तेहार छापा गया था. उन्होंने कहा था कि 30 दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद भी आरोपी अदालत के समक्ष पेश होने में असफल रहा. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवंबर 2017 में फेरा नियम के उल्लंघन के मामले में माल्या को भगोड़ा घोषित करने के लिए कार्रवाई शुरू करने का आवेदन दिया था.
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