राज्यसभा के लिए 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की - bjp also tries to balanced its equation in uttar pradesh



लखनऊ: राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होगा. इस बार राज्यसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. दरअसल इसी चुनाव के आधार पर लोकसभा चुनाव की रणनीति पर काम हो रहा है. राज्यसभा चुनाव विपक्षी दलों को धीरे-धीरे नजदीक ला रहा है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बसपा को समर्थन दे रही है तो कांग्रेस ने भी साथ देने का वादा किया है.  तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को समर्थन देने का ऐलान किया है. बसपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस का साथ देने का मन बनाय है.  उधर बीजेपी ने भी उत्तर प्रदेश से अपने 8 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं.  रविवार को बीजेपी ने कुल 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने सरकार में शामिल बड़बोले मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को कड़ा संदेश दिया है. पिछले कुछ दिनों से वह अपनी सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे. वैसे बीजेपी ने इन 8 प्रत्याशियों को उतारकर कई तरह के समीकरण साधने की कोशिश की है.



1- अरुण जेटली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का टिकट दिया है. इससे पहले बीजेपी मनोहर पर्रिकर को यहां से राज्यसभा भेज चुकी है जब व8 रक्षा मंत्री थे.

2- जीवीएल नरसिम्हा राव : जीवीएल नरसिम्हा राव पार्टी के प्रवक्ता हैं और वह आंध्र प्रदेश से आते हैं जहां पर टीडीपी इस समय विशेष दर्जे की मांग को लेकर केंद्र सरकार से बाहर हो चुकी है. जीवीएल को टिकट देकर बीजेपी ने एक तरह से टीडीपी को संदेश देने की कोशिश की है.

भाजपा ने राज्यसभा चुनावों के लिए अपने 18 उम्मीदवारों की घोषणा की

3- डॉ. अशोक वाजपेयी : डॉ. अशोक वाजपेयी यूपी में बड़े ब्राह्णण चेहरों में गिने जाते हैं. वह सात बार विधायक रह चुके हैं. खास बात यह है कि वह मुलायम सिंह यादव के करीबी और सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और वह संघ के भी स्वयंसेवक रह चुके हैं. यूपी में योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाए जाने के बाद ब्राह्णणों में एक तरह से ठाकुरों को आगे बढ़ाने जाने का संदेश गया था बीजेपी तब से कई ब्राह्मण नेताओं को बड़े पद पर बैठा चुकी है.

4- डॉ. अनिल जैन : जैन पुराने संघ के कार्यकर्ता हैं और इस समय बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. उनके पास छत्तीसगढ़ और हरियाणा का प्रभार भी है. वह मूल रूप से फिरोजाबाद के रहने वाले हैं. उनके पास संगठन में काम करने का अनुभव है. बीजेपी का ये कदम इसे संगठन में और विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है. 


5- विजय पाल तोमर : विजय पाल तोमर की अगुवाई में बीजेपी गन्ना किसानों के लिए संघर्ष कर चुकी है. वह जनता दल से विधायक कर रह चुके हैं.  वह बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं.  बीजेपी ने तोमर को टिकट को देकर एक तरह से किसानों को संदेश देने की कोशिश है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विजय पाल तोमर किसान नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

6- हरनाथ सिंह यादव : संघ प्रचारक रहे हरनाथ सिंह यादव 1990 में विधानसभा का चुनाव स्नातक कोटे से चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए. इसके बाद 1996 में निर्दलीय जीते फिर सपा चले गए. 2002 में सपा के टिकट पर स्नातक कोटे की सीट जीती लेकिन अब फिर बीजेपी में लौट आए हैं. बीजेपी को यूपी में यादव समुदाय से किसी चेहरे की जरूरत है जो हरनाथ सिंह यादव  के तौर पर अब देखी जा सकती है.
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