नई दिल्ली : मानव संसाधान विकास मंत्रालय शैक्षणिक दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप में तैयार करके राष्ट्रीय अकादमिक निक्षेपागार (एनएडी) में संग्रहित करने के कार्य को अंतिम रूप दे रहा है. साल 2020 से इन शैक्षणिक दस्तावेजों के लिये शुल्क देना होगा. मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा, ‘राष्ट्रीय शैक्षणिक निक्षेपागार के तहत शैक्षणिक दस्तावेजों का डिजिटल बैंक तैयार किया गया है और साल 2019 तक ये डिजिटल डिग्रियां नि:शुल्क होंगी. साल 2020 से ऐसी डिजिटल दस्तावेजों के लिये शुल्क लिया जाएगा.’ मंत्री ने बताया कि इस पहल के माध्यम से नकली डिग्रियों के नेटवर्क पर लगाम लगाई जा सकेगी.
इस पहल के तहत साल 2004 के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के दसवीं से 12वीं कक्षा के 5.27 करोड़ छात्रों के अंक पत्र एवं प्रमाणपत्र तथा 2.31 करोड़ छात्रों के स्थानांतरण प्रमाणपत्र डिजिटल प्रारूप में डिजि लॅाकर के माध्यम से उपलब्ध हैं. स्कूलों में माध्यमिक स्तर और कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में डिजिटल प्रारूप में शैक्षणिक दस्तावेज तैयार करने का उद्देश्य यह है कि शैक्षणिक संस्थाएं, निजी एवं सरकारी कंपनियां एवं प्रतिष्ठान देश-विदेश में बैठकर इन दस्तावेजों की जांच कर सके.
उन्होंने बताया कि इसका मकसद यह है कि सरकारी कार्यालयों में या नौकरी आदि के लिए आवेदन करना है तो जरूरी दस्तावेज साथ ले जाने की जरूरत नहीं होगी. डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ‘डिजी लॉकर’ तैयार किया गया है. इसमें सभी प्रमाणपत्रों का डिजिटल फॉरमेट सुरक्षित रखने की सुविधा है. यूनिफार्म रिसोर्स इंडिकेटर लिंक के जरिये यह दस्तावेज कहीं भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगे. सरकार की योजना है कि डिजी लॉकर के बाद प्रमाणपत्रों का वर्तमान कागजी रूप खत्म कर दिया जाए.
शैक्षणिक प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाएं जैसे सीबीएसई, राज्य बोर्ड आदि भविष्य में दसवीं और बारहवीं के अंकपत्र और प्रमाणपत्र डिजिटल रूप में ही जारी करेंगे. इन्हें संबंधित छात्र के आधार कार्ड नंबर के जरिए पहचाना जाएगा. दस्तावेजों में धोखाधड़ी न हो इसके लिए डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा भी रहेगी. कुछ समय पहले भारत और विदेशों के आवेदकों के लिए दस्तावेजों के कैशलेस एवं कागज विहीन प्रमाणन और निजी दस्तावेजों की पुष्टि को अधिक व्यावहारिक बनाने के मकसद से ई- सर्टिफिकेट पहल पेश की गई थी. इस पहल को ई-सनद कहा गया और सीबीएसई के ऐकडेमिक रिजल्ट मंजूषा से जोड़ा गया है.
यह पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मिलकर आगे बढ़ाया है. ई-सर्टिफिकेट और परिणाम मंजूषा को जोड़ने से आवेदनकर्ताओं को राज्यों में संबंधित अथॉरिटी के समक्ष अपने दस्तावेजों को प्रमाणित करने के संबंध में लंबी यात्रा करने और बहुमूल्य समय एवं संसाधन को बचाने में मदद मिलेगी. इसके माध्यम से ऑनलाइन आवेदन भरने में मदद मिलेगी.
इस पहल के तहत साल 2004 के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के दसवीं से 12वीं कक्षा के 5.27 करोड़ छात्रों के अंक पत्र एवं प्रमाणपत्र तथा 2.31 करोड़ छात्रों के स्थानांतरण प्रमाणपत्र डिजिटल प्रारूप में डिजि लॅाकर के माध्यम से उपलब्ध हैं. स्कूलों में माध्यमिक स्तर और कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में डिजिटल प्रारूप में शैक्षणिक दस्तावेज तैयार करने का उद्देश्य यह है कि शैक्षणिक संस्थाएं, निजी एवं सरकारी कंपनियां एवं प्रतिष्ठान देश-विदेश में बैठकर इन दस्तावेजों की जांच कर सके.
उन्होंने बताया कि इसका मकसद यह है कि सरकारी कार्यालयों में या नौकरी आदि के लिए आवेदन करना है तो जरूरी दस्तावेज साथ ले जाने की जरूरत नहीं होगी. डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ‘डिजी लॉकर’ तैयार किया गया है. इसमें सभी प्रमाणपत्रों का डिजिटल फॉरमेट सुरक्षित रखने की सुविधा है. यूनिफार्म रिसोर्स इंडिकेटर लिंक के जरिये यह दस्तावेज कहीं भी ऑनलाइन उपलब्ध होंगे. सरकार की योजना है कि डिजी लॉकर के बाद प्रमाणपत्रों का वर्तमान कागजी रूप खत्म कर दिया जाए.
शैक्षणिक प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाएं जैसे सीबीएसई, राज्य बोर्ड आदि भविष्य में दसवीं और बारहवीं के अंकपत्र और प्रमाणपत्र डिजिटल रूप में ही जारी करेंगे. इन्हें संबंधित छात्र के आधार कार्ड नंबर के जरिए पहचाना जाएगा. दस्तावेजों में धोखाधड़ी न हो इसके लिए डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा भी रहेगी. कुछ समय पहले भारत और विदेशों के आवेदकों के लिए दस्तावेजों के कैशलेस एवं कागज विहीन प्रमाणन और निजी दस्तावेजों की पुष्टि को अधिक व्यावहारिक बनाने के मकसद से ई- सर्टिफिकेट पहल पेश की गई थी. इस पहल को ई-सनद कहा गया और सीबीएसई के ऐकडेमिक रिजल्ट मंजूषा से जोड़ा गया है.
यह पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मिलकर आगे बढ़ाया है. ई-सर्टिफिकेट और परिणाम मंजूषा को जोड़ने से आवेदनकर्ताओं को राज्यों में संबंधित अथॉरिटी के समक्ष अपने दस्तावेजों को प्रमाणित करने के संबंध में लंबी यात्रा करने और बहुमूल्य समय एवं संसाधन को बचाने में मदद मिलेगी. इसके माध्यम से ऑनलाइन आवेदन भरने में मदद मिलेगी.
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