सिर से जुड़े दो मासूम भाइयों को AIIMS ने दी अलग पहचान - twins joined at the head separated by aiims surgeons

नई दिल्ली: जब सब जगह से नाउम्मीदी दिख रही थी और सारे दरवाज़े बंद हो चुके थे तब दिल्ली के AIIMS ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया, जो आज तक इससे पहले भारत में कभी नहीं हुआ. आज से ठीक छह महीने पहले सिर से जुड़े दो मासूम भाइयों को AIIMS ने न सिर्फ अलग पहचान दी है, बल्कि उनको अपने पैरों पर खड़ा कर ये दिखा दिया कि AIIMS के लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं.

जग्गा और कालिया अब नई जिंदगी की राह पर हैं. वो जिंदगी जो जन्म से नहीं बल्कि एम्स की देन है. ओडिशा के एक गरीब परिवार को अपने इन दोनों बच्चों को देख यकीन नहीं हो रहा कि ये सच है या सपना. मासूम जग्गा के पैर जरूर लड़खड़ा रहे हैं पर खुद के पैरों पर खड़े होने की ताकत दो मैराथन सर्जरी के बाद ही मुमकिन हो पाई. कालिया जग्गा से थोड़ा कमजोर भले ही दिख रहा हो पर उसकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है और डॉक्टरों को पूरी उम्मीद है कि वो अब जल्द अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा.



एम्स के पूर्व न्यूरो चीफ सर्जन डाॅ एके महापात्रा ने एनडीटीवी से खास बातचीत में बताया कि 95-98% ठीक है और कालिया लगभग 70%. ये तो भगवान का ब्लेसिंग है कि बच्चा यहां आया. हमारा टीम वर्क बहुत अच्छा था. सबका 100% कोऑपरेशन था और एक जुनून था जिस जुनून के कारण एक असंभव को संभव किया जा सकता क्योंकि जैसे मैंने पहले बताया था पिछले 30 साल में 10-12 ऐसे ऑपरेशन पूरा दुनिया में हुआ है और बहुत कम शहर में हुआ. जैसे आप देखो पूरा ऑस्ट्रेलिया में नहीं हुआ. जापान में नहीं हुआ. चीन में नहीं हुआ. रूस में नहीं हुआ. चुने-चुने 5-6 जगहों पर हुआ. एम्स में पहली बार हुआ.

तीन साल पहले अप्रैल 2015 में ओडिशा के कंधमाल के देहात में जग्गा और कालिया सिर से जुड़े जुड़वां पैदा हुए. तमाम नाउम्मीदी के बीच उनके माता-पिता ने हार नहीं मानने की ठानी और बच्चों को ढाई सौ किलोमीटर दूर राजधानी भुवनेश्वर के एक अस्पताल में ले गए. और फिर वहां से शुरू हुआ उनका AIIMS तक का सफर. बच्चों के सफल ऑपरेशन ने पूरे परिवार को भी मानो नई जिंदगी दी हो. जग्गा कालिया के पिता भूईंया कंहर सबका शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे. एम्स के डॉक्‍टर को धन्यवाद देता हूं. अपने चीफ मिनिस्टर को भी धन्यवाद. अशोक महापात्रा को भी धन्यवाद देता हूं. जग्गा तो मेरे और मां के साथ कुछ कुछ बोलता भी है. खेलता भी है और कालिया अच्छा से देखता है सब. भूईंया दोनों भाइयों के जन्म के बाद की बात सोचकर सिहर उठते हैं. कहते हैं पहले तो हमलोग बहुत दुखी हुए. अब जब ऑपरेशन हो गया...सब ठीक है तो खुशी है.


टिप्पणिया परिवार को उम्मीद है अब वो जल्द ही अपने गांव लौट सकते हैं बस इस इंतजार में हैं कि जग्गा की तरह दूसरा बेटा कालिया भी पूरी तरह से फिट हो जाये और हंसने खेलने लगे. पहली बार मिली इस सफलता ने न सिर्फ इन दो बच्चों को नई जिंदगी दी है बल्कि उन तमाम परिवारों में उम्मीद भी जगाई है जिनके घरों में ऐसे बच्चे हैं.
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