गोरखपुर में धवस्‍त होता नजर आ रहा है बीजेपी - bjp loses gorakhpur loksabha by election

नई दिल्ली: बसपा और सपा का गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में गठबंधन का असर नतीजों में देखने को मिल रहा है्. गोरखपुर बीजेपी और सीएम योगी आदित्‍यनाथ का गढ़ माना जाता है लेकिन बीजेपी का ये किला भी धवस्‍त होता नजर आ रहा है. अगर बीजेपी गोरखपुर लोकसभा सीट हारती है तो इसका सबसे ज्‍यादा असर सीएम योगी की साख पर पढ़ेगा. गोरखपुर की प्रतिष्ठित लोकसभा सीट पर 17 वें दौर की मतगणना के बाद सपा के प्रवीन निषाद 26, 510 वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला से आगे चल रहे है. गोरखपुर उपचुनाव के लिये मतदान गत 11 मार्च को हुआ था और इसमें 47.75 प्रतिशत मत पड़े थे. गोरखपुर सीट के लिये 10 तथा फूलपुर सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं.


योगी आदित्यनाथ सीएम बनने से पहले तक सांसद और हिंदू युवा वाहिनी के अध्यक्ष थे. योगी के सीएम बनने के बाद उनका पैन इंडिया रुतबा बना. इसके बाद बीजेपी ने उनका रुतबे का इस्‍तेमाल कई अन्‍य राज्‍यों में चुनाव प्रचार के दौरान किया था. इतना ही नहीं इसका फायदा उन्‍हें कई राज्‍यों में मिला. हाल ही में त्रिपुरा में बीजेपी की जीत के कारणों में उन्‍हें भी एक कारण माना गया. अगर बीजेपी गोरखपुर लोकसभा चुनाव हारती है तो बीजेपी के हिन्‍दुत्‍व के एजेंडे पर असर पड़ेगा. कहा जाता है कि योगी आदित्‍यनाथ सीएम पद के लिए अमित शाह की पसंद थे लेकिन पीएम मोदी उन्‍हें पसंद नहीं करते थे. अमित शाह ने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए योगी की जरूरत समझी और उन्‍हें यूपी के मुख्‍यमंत्री का कार्यभार सौंपा. ऐसे में यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ को भविष्‍य में प्रदेश के लिए केन्‍द्र से सहयोग में असर पड़ सकता है.


गुजरात में स्टार कैंपेनर बनाया गया. केरल में शाह की रैली के अगुवा रहे और त्रिपुरा में उनसे कैंपेन कराया गया. ऐसे में बीजेपी के आगामी कर्नाटक, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में असर पड़ेगा. इस हार से यूपी राजनीति में योगी आदित्‍यनाथ का कद छोटा होगा. इतना ही नहीं राष्‍ट्रीय राजनीति में भी उनकी भूमिका पर असर पड़ेगा. गोरखनाथ मंदिर का इस लोकसभा सीट पर कब्‍जा रहा है. यहां से पिछले पांच लोकसभा चुनाव योगी आदित्‍यनाथ जीतते आए हैं और उससे पहले इस सीट पर उनके गुरु अवैद्य नाथ इस सीट पर दो बार से सांसद थे. यानि 28 साल से यह सीट बीजेपी के पास थी. हारने से बीजेपी का वर्चस्‍व खत्‍म हो जाएगा. गोरखपुर लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान 11 रैलियां की थी. उसका असर नतीजों में नजर नहीं आया. ऐसे में बीजेपी के लिए 2019 के चुनाव खतरे की घंटी साबित हो सकती हैं. इस जीत के साथ यूपी में भी बिहार की तर्ज पर महागठबंधन के असर देखने को मिल सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी का हाल बिहार के विधानसभा चुनाव नतीजों जैसा हो सकता है. 
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