बीजेपी को राज्यसभा में नहीं मिलेगा बहुमत - bjp unlikely to get majority in rajya sabha

नई दिल्ली: राज्य सभा के लिए 58 नए सदस्यों और एक सीट के लिए उपचुनाव की प्रक्रिया देश के 16 राज्यों में जारी है. इन 58 सीटों में 25 सीटों के लिए चुनाव 6 राज्यों में कराए जा रहे हैं जबकि 10 राज्यों से 33 सदस्य बिना किसी विरोध के राज्य सभा पहुंच रहे हैं. लेकिन राज्य सभा चुनाव के अंतिम नतीजों से देश की राजनीति किस करवट बैठेगी, क्या लोकसभा की तरह राज्य सभा में भी बीजेपी अपना वर्चस्व बनाएगी? यदि नहीं तो राज्य सभा की मौजूदा स्थिति का क्या असर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा?'


राज्य सभा के इन चुनावों के बाद सदन की बदली अंकगणित में बीजेपी को 15 सीटों तक का फायदा हो सकता है. इस फायदे से बीजेपी मौजूदा 58 सदस्यों के आंकड़े को बढ़ाकर 72-73 तक पहुंचा देगी. हालांकि यह आंकड़ा राज्यसभा में बहुमत के लिए जरूरी 123 सीटों से काफी नीचे है. गौरतलब है कि मौजूदा चुनावों के बाद कांग्रेस को लगभग 8 से 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा और राज्य सभा में उसका आंकड़ा 54 से घटकर लगभग 45 तक पहुंच जाएगा.


लिहाजा, इस स्थिति में एक बात साफ है कि मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल में बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत नहीं मिलेगा. इसके लिए उसे एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत में आने के साथ-साथ 2018 और 2019 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बढ़त बनानी होगी. ऐसी स्थिति में बीजेपी के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने हिदुत्व एजेंडे का साथ पकड़ना आसान नहीं होगा. नतीजा, अगले आम चुनावों में एक बार फिर उसे सिर्फ वादों के साथ प्रचार करना होगा.


बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में विकास के एजेंडे के साथ-साथ अपने हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ाने का वादा किया था. चुनाव नतीजों के बाद जब केन्द्र में मजबूत मोदी सरकार का गठन हुआ तो पार्टी ने अच्छे दिन लाने के लिए तेज विकास की नीतियों को आगे बढ़ाया. अब जब 2019 के आम चुनाव में महज एक साल का वक्त बचा है, तेज विकास आर्थिक आंकड़ों से गायब है और बीजेपी के अच्छे दिन के सामने वही सवाल खड़े हो रहे हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के शाइनिंग इंडिया के सामने थे.


ऐसी स्थिति में बीजेपी के पास वापस हिंदुत्व के एजेंडे पर जाने का विकल्प था लेकिन राज्य सभा में अभी तक बहुमत न मिलने के चलते अगले एक साल तक मोदी सरकार को अपने हिंदुत्व एजेंडे पर जाने का भी मौका नहीं मिल पाएगा. गौरतलब है कि बीजेपी ने बीचे कई दशकों से हिंदुत्व एजेंडे की बात की है. इस एजेंडे के लिए बीते 4 साल के दौरान मोदी सरकार ने यूनीफॉर्म सिविल कोड, धारा 370 को हटाने और लोकसभा के साथ-साथ देशभर में विधानसभा चुनावों को कराने मसौदा तैयार किया है. लेकिन इन सभी मसौदों पर आगे बढ़ने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है जिसके लिए यह जरूरी है कि बीजेपी को लोकसभा के साथ-साथ राज्य सभा में विशेष बहुमत मिले.


हिंदुत्व एजेंडे पर खरा उतरने के लिए यह भी जरूरी है कि बीजेपी की कम से कम 15 राज्यों में भी विशेष बहुमत वाली सरकार मौजूद रहे. हालांकि मौजूदा समय में बीजेपी के 15 राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ 21 राज्यों में गठबंधन की सरकार है. लेकिन राज्य सभा में बहुमत की संभावना 2019 के चुनावों के बाद बनने की स्थिति में इस आंकड़े में भी फेरबदल देखने को मिल सकता है.


गौरतलब है कि जहां हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनावों के तुरंत बाद होंगे वहीं आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और तेलंगाना का चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ कराया जाएगा. इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2018 में छत्तीगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मिजोरम और राजस्थान के विधानसभा चुनाव कराएंगे. इन चुनावों के बाद यदि केन्द्र में बीजेपी को लोकसभा और राज्यसभा में विशेष बहुमत के साथ-साथ 15 राज्यों में दो-तिहाई बहुमत वाली सरकार रहेगी तब मोदी सरकार के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर कारगर फैसला लिया जा सकेगा.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment