मायावती ने लिया सपा को हैरान करने वाला निर्णय - bsp wont support sp in kairana and noorpur bypolls

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने सपा को हैरान करने वाले एक निर्णय के तहत यूपी में आगे आने वाले उपचुनावों में इसके साथ किसी भी तरह के तालमेल से इनकार कर दिया है. मायावती ने सोमवार को ऐलान करते हुए कहा कि आने वाले उपचुनावों के लिहाज से वह अपने पार्टी कैडर को सक्रिय नहीं करेंगी. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में सपा-बसपा तालमेल की बदौलत जीत हासिल करने के बाद सपा की निगाहें कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट पर हैं. ऐसे में बसपा की यह घोषणा सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसका सीधा सा मतलब है कि 2019 लोकसभा चुनावों से पहले अब बसपा और सपा के बीच किसी प्रकार का तालमेल नहीं होगा.

द टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मायावती की सोमवार को बसपा जोनल कोआर्डिनेटरों की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, ''भविष्‍य में होने वाले किसी भी उपचुनाव के लिए बसपा अपने कैडर को सक्रिय नहीं करेगी.'' हालांकि सूत्रों के मुताबिक कैराना उपचुनावों के मद्देनजर बीएसपी ने यह फैसला किया है. दरअसल सूत्रों के मुताबिक अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोकदल (रालोद) उपाध्‍यक्ष जयंत चौधरी को कैराना से उतारने के मूड में है. ऐसे में यदि बसपा, सपा को समर्थन देती है तो जाट वोटर उससे छिटक सकता है. इसी तरह बसपा यदि रालोद को समर्थन देती है तो मुस्लिम मतदाता उससे नाराज हो सकता है. चूंकि बसपा उपचुनाव में खुद तो लड़ती नहीं है, सो इससे दूर रहने में ही पार्टी का हित है.

इसके साथ ही बसपा प्रमुख के साथ जोनल को-ऑर्डिनेटर्स की बैठक में सपा-बसपा गठबंधन को लेकर चर्चा हुई और पार्टी के नेताओं से फीडबैक भी मांगा गया. इस बैठक में 2019 लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा हुई. बैठक के बाद जो बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक, 2019 में बसपा एकबार फिर 2007 में अपनाए गए फॉर्मूले पर चल सकती है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा सोशल इंजीनियरिंग को साधने की कवायद में जुट चुकी है.


ऐसा माना जा रहा है कि 2019 चुनाव में पार्टी दलित, पिछड़ा और अगड़ी जातियों को एकसाथ लेकर चलेगी. पार्टी प्रमुख मायावती ने खुद इसको लेकर संकेत दिए हैं. मायावती ने कहा कि बीजेपी सरकार में दलितों, पिछड़ों और सवर्ण जाति के गरीब तबकों का बुरा हाल है. मायावती के इस बयान को आधार मानकर राजनीतिक गलियारे में कयासों का दौर शुरू हो गया है. 2007 में ब्राह्मणों और दलितों को साधकर बसपा ने विधानसभा चुनाव में 206 सीटों पर कब्जा किया था.
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