मुताह और मिस्यार को लेकर सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ - constitution bench mutah nikah misyar marriage supreme court illegal nikah halala

नई दिल्ली: निकाह हलाला और निश्चित अवधि के लिए किए गए निकाह यानी मुताह और मिस्यार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले की बड़ी बेंच में सुनवाई करने की सिफारिश की. यानी अब पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले को सुनेगी.

अश्विनी उपाध्याय, नफीसा खान, समीना बेगम सहित चार लोगों की ओर से दायर हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता डॉ. समीना बेगम के मुताबिक मजहबी छूट का फायदा उठाकर उसके दो शौहरों ने उसके साथ दगाबाजी की और तलाक दिया. पहले पति से उसके दो बच्चे थे और दूसरे से एक.

डॉ. समीना बेगम ने बताया कि पहले शौहर ने चिट्ठी लिखकर तलाक दिया और दूसरा जिसने एक बीवी के होने की बात छुपा कर निकाह तो कर लिया लेकिन फिर लापता हो गया. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में निकाह हलाला, मुताह मिस्यार जैसे कृत्य को संविधान के बुनियादी अधिकार वाले अनुच्छेद में समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इन्हें असंवैधानिक करार देने की मांग की है.

तीन तलाक वाले मुकदमे के समय भी यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था. तब चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर की पीठ ने ये मामला संविधान पीठ को भेजा था. ये अलग बात है कि उस संविधान पीठ ने अपना फोकस सिर्फ तीन तलाक पर ही रखा. बाकी मुद्दों पर उन्होंने कोई टिप्पणी ना करके एक तरह से उनको 'ओपन' ही छोड़ दिया. यही वजह है कि अब गठित होने वाली संविधान पीठ इन्हीं मुद्दों पर सुनवाई करेगी.


मुता विवाह एक निश्चित अवधि के लिए साथ रहने का करार होता है और शादी के बाद पति-पत्नी कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर एक अवधि तक साथ रह सकते हैं. साथ ही यह समय पूरा होने के बाद निकाह खुद ही खत्म हो जाता है और उसके बाद महिला तीन महीने के इद्दत अवधि बिताती है. इतना ही नहीं मुता निकाह की अवधि खत्म होने के बाद महिला का संपत्ति में कोई हक नहीं होता है और ना ही वो पति से जीविकोपार्जन के लिए कोई आर्थिक मदद मांग सकती जबकि सामान्य निकाह में महिला ऐसा कर सकती है.



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