मेघालय में एनडीए के लिए सत्‍ता की स्क्रिप्‍ट हेमंत बिस्वा सरमा ने अकेले दम पर लिखी - himanta biswa sarma factor in bjp’s northeast win

मेघालय में जब मतगणना वाले दिन नतीजे पूरे आए भी नहीं थे कि सबसे बड़े दल के रूप में उभर रही कांग्रेस ने अहमद पटेल, कमलनाथ जैसे चार दिग्‍गज नेताओं को वहां सरकार बनाने की संभावना के साथ भेजा. दूसरी तरफ बीजेपी को कुल 60 में से केवल दो सीटों पर बढ़त थी लेकिन उसने नॉर्थ-ईस्‍ट में अपने सबसे शक्तिशाली राजनेता हेमंत बिस्वा सरमा को एनडीए सरकार बनाने का जिम्‍मा सौंपा. कांग्रेस को नतीजों में 21 सीटें मिली और उसके बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी एनपीपी को 19 सीटें मिलीं. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को छह और बीजेपी को दो सीटें मिलीं.

बिना एक क्षण गंवाए हेमंत बिस्वा सरमा शिलांग पहुंचे और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी एनपीपी नेता कोनराड संगमा के साथ छह विधायकों वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता डोनकूपर रॉय से मिलने पहुंचे. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जब वह डोनकूपर रॉय के घर पहुंचे तो उस वक्‍त वहां पहले से ही कांग्रेस नेता मुकुल संगमा मौजूद थे. वह भी समर्थन की अपेक्षा के साथ डोनकूपर रॉय के घर पहुंचे थे. इन दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद डोनकूपर रॉय ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि वह गैर-कांग्रेसी सरकार का हिस्‍सा होंगे और इस तरह हेमंत बिस्वा सरमा ने पूरी बाजी अकेले दम पलट दी. कांग्रेस के दिग्‍गज नेताओं को बैरंग शिलांग से वापस लौटना पड़ा और एनपीपी(19), यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(6), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(4), हिल स्टेट डेमोक्रेटिक पार्टी (2), भाजपा (2) और 1 निर्दलीय विधायकों के दम पर एनडीए ने सरकार बना ली. मंगलवार को कोनराड संगमा ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. कहा जा रहा है कि एनडीए के लिए सत्‍ता की स्क्रिप्‍ट हेमंत बिस्वा सरमा ने अकेले दम पर लिखी.



कभी असम के दिग्‍गज कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई के प्रिय शिष्‍य रहे हेमंत बिस्वा सरमा उनकी सरकार में कई पदों पर रहे. 2015 में उन्‍होंने तरुण गोगोई से मतभेद के चलते राहुल गांधी से संपर्क साधा. बाद में उन्‍होंने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि जब वह असम की समस्‍याओं के मसले पर उनसे चर्चा करना चाह रहे थे तो पहले तो राहुल गांधी ने उनको समय नहीं दिया और जब उनसे मुलाकात हुई तो उनकी बात पर ज्‍यादा गौर नहीं किया. उपेक्षित सरमा ने कांग्रेस को छोड़ दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया. उसके एक साल बाद 2016 में हेमंत बिस्‍वा सरमा ने सर्बानंद सोनोवाल के साथ मिलकर असम में पहली बार बीजेपी को सत्‍ता में पहुंचाया. उनकी क्षमताओं को देखते हुए असम के इस मंत्री को बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्‍ट का रणनीतिकार बनाया. लिहाजा बीजेपी ने उनको नॉर्थ-ईस्‍ट डेमोक्रेटिक अलायंस(नेडा) का संयोजक बनाया.


हेमंत बिस्‍वा सरमा को सही चुनावी गठबंधन करने और अथक प्रयास करने वाले नेताओं में गिना जाता है. अरुणाचल प्रदेश में जब पूरी कांग्रेसी सरकार का बीजेपी में विलय हुआ तो उसके पीछे उनको ही सूत्रधार माना जाता है. उसके बाद 2017 में मणिपुर चुनावों के बाद बीजेपी की सरकार बनाने का श्रेय उनके ही खाते में जाता है.

त्रिपुरा में बीजेपी नेताओं के विरोध के बावजूद उन्‍होंने आदिवासी समुदाय के मुद्दों को उठाने वाली आईपीएफटी के साथ गठबंधन में सफलता हासिल की. इस फैसले को गेमचेंजर इसलिए कहा जा रहा है क्‍योंकि आदिवासी बहुल इलाके की 20 सीटों में से 18 सीटों पर इस गठबंधन को कामयाबी मिली. पहले इस अंचल को लेफ्ट का गढ़ माना जाता था. इसी अपराजेय बढ़त के चलते बीजेपी ने त्रिपुरा में कामयाबी हासिल की.



हेमंत बिस्‍वा सरमा ने गुवाहाटी में लॉ की पढ़ाई के दौरान ही कांग्रेस के छात्र नेता के रूप में सियासी पारी शुरू की थी. उसके बाद उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सरमा ने कुछ समय पहले एक इंटरव्‍यू में कहा था कि 2018 के अंत तक नॉर्थ-ईस्‍ट से कांग्रेस और कम्‍युनिस्‍टों का सफाया हो जाएगा. इस कड़ी में अब कांग्रेस शासित मिजोरम राज्‍य बचा है, जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने वाले हैं.

नॉर्थ-ईस्‍ट से 25 लोकसभा सांसद चुनकर आते हैं. बीजेपी के नेतृत्‍व में एनडीए ने पिछली बार यहां से 11 सीटें जीती थीं. अगले चुनावों में कम से कम यहां से 20 सीटें जीतने का लक्ष्‍य पार्टी ने रखा है.
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