नई दिल्ली: सजायाफ्ता व्यक्ति द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी में पद पर रहने पर रोक के लिए दाखिल याचिकापर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर याचिका का विरोध किया.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि किसी भी नेता को केवल इसलिए राजनीतिक पार्टी बनाने से नहीं रोका जा सकता कि वह चुनाव आयोग द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया है. केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि किसी अयोग्य नेता को पार्टी के पद और रखना या नहीं ये पार्टी की स्वायत्तता का मामला है. केंद्र सरकार ने बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज करने की मांग की है.
दरअसल प्रावधान ये कहता है कि जब अदालत किसी नेता को आपराधिक मामले में दोषी ठहरता है और उसे दो साल से ज्यादा की सजा सुनाता है तो सजा की अवधि पूरी होने के बाद 6 साल तक वह चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाता है. याचिका में कहा गया है कि जब तक वो चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जाता है तब तक वो कोई भी राजनीतिक पार्टी न बनाए या किसी पार्टी में पद पर नहीं रहे.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि किसी भी नेता को केवल इसलिए राजनीतिक पार्टी बनाने से नहीं रोका जा सकता कि वह चुनाव आयोग द्वारा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया है. केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि किसी अयोग्य नेता को पार्टी के पद और रखना या नहीं ये पार्टी की स्वायत्तता का मामला है. केंद्र सरकार ने बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज करने की मांग की है.
दरअसल प्रावधान ये कहता है कि जब अदालत किसी नेता को आपराधिक मामले में दोषी ठहरता है और उसे दो साल से ज्यादा की सजा सुनाता है तो सजा की अवधि पूरी होने के बाद 6 साल तक वह चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाता है. याचिका में कहा गया है कि जब तक वो चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जाता है तब तक वो कोई भी राजनीतिक पार्टी न बनाए या किसी पार्टी में पद पर नहीं रहे.
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