टैक्स के प्रावधानों से मुक्त है सांसदों का वेतन - know salary and allownaces of member of parliament

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में मांग उठाई है कि जिस दिन सदन की कार्रवाई स्थगित हो सदस्यों को उस दिन का भत्ता नहीं दिया जाए. आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मुद्दे सदन को पत्र लिखा. आज हम आपको बताते हैं कि सांसदों को कितनी सैलरी और कितना भत्ता मिलता है, जिस पर कई बार सवाल उठ चुके हैं...

बताया जाता है कि हमारे सांसद देश की औसत आय से 68 गुना ज्यादा वेतन (और भत्ते) पाते हैं. इसके अलावा दुनिया के कई देशों से उलट, उन्हें निजी व्यापार से असीम दौलत कमाने की सुविधा भी भारत में मिली हुई है.

सैलरी- सांसदों को 50 हजार रुपये हर महीने वेतन के रूप में मिलते हैं, जिसे बढ़ाने की कई बार सिफारिश की जा चुकी है.



संसदीय क्षेत्र भत्ता: इस मद में सांसदों को 45 हजार रुपये मिलते हैं. इसमें 15 हजार रुपये स्टेशनरी और पोस्टेज के लिए और 30 हजार रुपये सचिवालय सहायकों को भुगतान करने के लिए मिलते हैं.

कार्यालय भत्ता खर्च: सांसदों को 45 हजार रुपये भत्ता भी दिया जाता है.

वहीं संसद सत्र के दौरान संसद आने पर भी सांसदों को भत्ता मिलता है. उस दौरान उन्हें दैनिक भत्ता 2 हजार रुपये हर रोज मिलता है.

अन्य सुविधाएं- सैलरी और भत्तों के अलावा सांसदों को घर मे इस्तेमाल के लिए तीन टेलीफोन लाइन, हर लाइन पर सालाना 50,000 लोकल कॉल मुफ्त दी जाती है. साथ ही घर में फर्नीचर के लिए 75 हजार रुपये मिलते हैं. पत्नी या किसी और के साथ साल मे 34 हवाई यात्राएं मुफ्त मिलती है.



- रेल यात्रा के लिए फर्स्ट एसी का टिकट मुफ्त हासिल होता है. घर मे सालाना 40 लाख लीटर मुफ्त पानी मिलता है. वहीं सालाना 50 हजार यूनिट बिजली मुफ़्त भी दी जाती है.

- सड़क यात्रा के लिए 16 रुपये प्रति किलोमीटर का किराया भत्ता मिलता है. सांसद और उसके आश्रितों को किसी भी सरकारी अस्पताल मे मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है.

- निजी अस्पतालों में इलाज पर भी वास्तविक खर्च का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है. दिल्ली के पॉश इलाके में फ्लैट या बंगला भी मिलता है. वाहन के लिए ब्याज रहित लोन 4 लाख रुपये तक मिलता है.

- कंप्यूटर खरीदने के लिए दो लाख रुपये सरकारी खजाने से लिया जा सकता है और हर तीसरे महीने पर्दे और सोफा कवर धुलवाने का खर्च सरकारी खजाने से लिया जा सकता है.

- सबसे अहम बात, सांसदों की यह आमदनी टैक्स के प्रावधानों से मुक्त है. यानी सांसदों को अपने वेतन और भत्तों पर टैक्स नहीं भरना पड़ता.

- वेतन और दैनिक भत्ते दोगुने करने की सिफारिश के साथ संसदीय समिति ने पूर्व सांसदों की पेंशन 20,000 रुपए से बढ़ाकर 35,000 रुपए करने की भी वकालत की है.



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