नरेश अग्रवाल ने थाम लिया है अब भारतीय जनता पार्टी का दामन - naresh agrawal bjp rajya sabha uttar pradesh

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के महासचिव और राज्यसभा सदस्य रहे नरेश अग्रवाल ने अब भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. नरेश अग्रवाल का बीजेपी में जाना समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि वो राष्ट्रीय राजनीति में सपा का सबसे मुखर चेहरा हैं.

बताया जाता है कि नरेश अग्रवाल सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राज्यसभा सीट पर उनकी जगह जया बच्चन को टिकट देने से नाराज हैं और अब उन्होंने सपा की सबसे बड़ी सियासी दुश्मन बीजेपी से हाथ मिलाकर अखिलेश को तगड़ा झटका देने का फैसला किया है.

बता दें कि समाजवादी पार्टी के छह राज्यसभा सांसद रिटायर हो रहे हैं. किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी के नाम इस लिस्ट में हैं. सपा के पास सिर्फ 47 वोट हैं, अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही संसद भेज सकते हैं. बाकी के 9 अतिरिक्त वोट पार्टी गठबंधन के तहत बीएसपी उम्मीदवार को देगी.

समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है. सपा ने अपने छह राज्यसभा सदस्यों में सिर्फ जया बच्चन को भेजने का फैसला किया है.

माना जा रहा है कि इसी से नरेश अग्रवाल नाराज हैं. उनका दर्द ये है कि वो राज्यसभा में सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं और पार्टी की रीतियों-नीतियों को केंद्रीय स्तर पर उठाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा भेजने का फैसला किया और उनका पत्ता काट दिया गया.



68 साल के नरेश अग्रवाल मूलतः हरदोई के रहने वाले हैं. अग्रवाल बीएससी, एलएलबी हैं और तकरीबन चार दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. वे 1980 में पहली बार कांग्रेस के विधायक चुने गए. इसके बाद 1989 से 2008 तक लगातार यूपी विधानसभा के सदस्य रहे. 1997 में कांग्रेस पार्टी को तोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी का गठन किया था. 1997 से 2001 तक वो यूपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे.

2003 से 2004 तक पर्यटन मंत्री रहे. 2004 से 2007 तक उन्होंने यूपी के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला. बाद में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और संसद की कई कमेटियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. उनका बेटे नितिन अग्रवाल अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में हरदोई से सपा के विधायक हैं.

नरेश अग्रवाल अक्सर अपने बयानों के लिए मीडिया में सुर्खियां बटोरते रहते हैं. कई बार अपने विवादास्पद बयानों के चलते उन्हें खेद भी जताना पड़ा है. समाजवादी पार्टी में जब अखिलेश बनाम मुलायम की जंग छिड़ी हुई थी तब नरेश अग्रवाल ने खुलकर अखिलेश यादव का साथ दिया था. नरेश अग्रवाल को हर पार्टी में अपनी पैठ के लिए भी जाना जाता है. उनकी इसी पैठ का नतीजा है कि सपा से नाराज होने पर उन्हें तुरंत ही बीजेपी से पार्टी में शामिल होने का मौका मिल गया है.


राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है. 10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए.
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