घरेलू मैदान पर होने वाले मैचों में एसजी वाइट गेंद के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है बीसीसीआई - sg white ball may be replaced kookaburra ball in odi

मुंबई/ नई दिल्ली : बीसीसीआई घरेलू मैदान पर होने वाले भारत के सीमित ओवरों के मैचों में अधिकारिक कूकाबूरा गेंदों की जगह एसजी वाइट गेंद के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है. मुंबई में घरेलू कप्तान और कोचों के सालाना सम्मेलन के दौरान इस पर लंबी चर्चा की गयी, जिसमें अंपायरिंग के खराब स्तर भी बातचीत हुई. भारत में प्रथम श्रेणी मैचों और टेस्ट मैचों में एसजी टेस्ट ब्रांड की गेंदों का इस्तेमाल होता है, जबकि सीमित ओवरों के मैच कूकाबूरा गेंद से खेले जाते हैं.

हालांकि बीसीसीआई ने इस सत्र में प्रयोग के तौर पर मुश्ताक अली टी20 और विजय हजारे ट्राफी में एसजी वाइट का इस्तेमाल किया. शुरू में मुश्ताक अली ट्राफी के दौरान फीडबैक इतना अच्छा नहीं था लेकिन हजारे ट्राफी के दौरान खिलाड़ी गेंद के स्तर से खुश थे. राज्य की टीम से जुड़े एक वरिष्ठ कोच ने कहा, ‘इस मामले पर क्रिकेट परिचालन के महाप्रबंधक सबा करीम से चर्चा हुई थी. हम अगले सत्र में भारतीय टीम को वनडे और टी20 में एसजी वाइट गेंद से खेलते हुए देख सकते हैं.’

ये अंतर होता है दोनों बॉल में

एसजी गेंद में सीम काफी उभरी हुई होती है. जबकि कूकाबूरा में ऐसा नहीं होता.
एसजी बॉल हाथ से तैयार होती हैं, जबकि कूकाबूरा बॉल मशीन से बनाई जाती हैं.
सभी एसजी बॉल के साइज में थोड़ा थोड़ा अंतर होता है. जबकि कूकाबूरा बॉल एक ही आकार की होती हैं.

इस साल घरेलू टूर्नामेंट में अंपायरिंग के स्तर पर भी काफी चर्चा हुई. बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘ज्यादातर कप्तान ओर कोचों को अंपायरिंग के स्तर की शिकायत की. मैचों के दौरान कई विवादास्पद फैसले दिये. भारतीय अंपायरों के स्तर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल सुदंदरम रवि ही एलीट पैनल में शामिल हैं.’ कुछ ने तो घरेलू मैचों के दौरान डीआरएस के इस्तेमाल का अनुरोध भी किया लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.
कुछ राज्य क्रिकेट संघों ने सुझाव दिया है कि रणजी ट्राफी को मौजूदा चार के बजाय तीन ग्रुप में विभाजित कर देना चाहिए. रणजी ट्राफी कोचों और कप्तानों के सम्मेलन के दौरान सोमवार को यहां रखे गये प्रस्तावों में से यह एक सुझाव था. इस बैठक में भाग लेने वाले एक कप्तान ने यह जानकारी दी. आठ दशक के इतिहास में पहली बार पिछले सत्र में राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट तीन के बजाय चार ग्रुप में खेला गया, जिसमें विदर्भ ने पहली रणजी ट्राफी अपने नाम की.


कप्तान ने कहा, ‘हमने कुछ विषयों जैसे कार्यक्रम, अंपायरिंग के बारे में चर्चा की तथा रणजी ट्राफी को चार के बजाय तीन ग्रुप में खिलाने पर दोबारा विचार करने की बात भी कही गयी.’इसका तर्क यह था कि अगर रणजी ट्राफी तीन ग्रुप में खेला जायेगी तो मैचों की संख्या भी बढ़ जायेगी और इससे खिलाड़ियों को और मौका मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘अगर ज्यादा मैच होंगे तो आप अगर किसी एक मैच में पिछड़ गये तो भी टीम के पास अच्छा करने का मौका होगा.’ उनके मुताबिक कई राज्य संघों ने बैठक में इसी तरह की मांग रखी.



पता चला कि हर कोई पिच के स्तर और घरेलू खिलाड़ियों को दी जाने वाली राशि में बढ़ोतरी से खुश था. सम्मेलन में दिये गये सुझावों पर बीसीसीआई की तकनीकी समिति की बैठक में अगले सत्र के घरेलू टूर्नामेंट प्रारूप को अंतिम रूप देने से पहले चर्चा किये जाने की उम्मीद है.
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