सहयोगियों के प्रति नर्म हो रही है बीजेपी - some parties in nda are not happy with bjp

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के एक साथ कई झटके लग रहे हैं. एक ओर तो उपचुनाव में उसकी हार लगातार हो रही है दूसरा उसकी एक सहयोगी टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है. उसने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया है. टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न देने से नाराज होकर ये कदम उठाया है. दूसरी ओर वाइएसआर कांग्रेस ने भी अविश्वास लाने का ऐलान किया है. लेकिन ऐसा नहीं कि इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई ख़तरा है. संख्या बल उसका पर्याप्त है. बस उसके लिए मायूसी की बात इतनी ही है कि कुछ अपने पराये हो गए और कुछ होते लग रहे हैं. टीडीपी ने आंख फेर ली, शिवसेना आंख दिखा रही है.


टिप्पणिया बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये है चुनावी साल शुरू होते ही एनडीए में बिखराव शुरू हो गया. चुनाव होने तक बीजेपी को अपने एनडीए के कुनबे को बचाए रखना है. अविश्वास प्रस्ताव आते ही बीजेपी के प्रति उसके सहयोगी  शिवसेना और अकाली दल भी अब बीजेपी के रवैये पर अपना दुख खुलकर जता रहे हैं जो एनडीए के लिए ठीक नहीं है इसका असर आम वोटर तक भी पड़ेगा. 


वैसे बदले माहौल में बीजेपी भी अब सहयोगियों के प्रति नर्म हो रही है. सूत्रों के अनुसार जल्दी ही सभी सहयोगी पार्टियों से बात की जा सकती है. बीजेपी के कई मौजूदा सहयोगी दल वाजपेयी सरकार में भी शामिल थे. इस लिहाज से तब मिले अपने महत्व के मद्देनज़र उन्हें पिछले साढ़े तीन साल में निराशा ही हाथ लगी है. लेकिन बीजेपी का कहना है अपने बूते बहुमत मिलने के बावजूद उसने सहयोगी दलों को सरकार में हिस्सेदारी दी है.  पर अब जबकि चुनाव सिर पर हैं, बीजेपी अपने खिलाफ बन रही जनधारणा को दूर करने में जुट गई है.
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