सरकार का काम विपक्ष के गतिरोध को कम करना होता है: यशवंत सिन्हा - yashwant sinha compare modi govt and vajpayee govt

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 5 मार्च से शुरू हुआ था लेकिन दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कामकाज अभी तक ठप रहा है. एक फरवरी को पेश किए गए बजट पर कोई चर्चा नहीं हो सकी है. इतना ही नहीं अनुमोदन बिल और वित्त विधेयक बिना चर्चा के पास हो गया. वहीं कई बिल हंगामे के चलते लटके पड़े हैं. तेलगु देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ आविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की मांग कर रखी है. वहीं हर किसी को बीजेपी और एआईएडीएमके के संबंध अच्‍छे रिश्‍तों के बारे में पता है. उनके नेता थंबिदुरई लोकसभा के उपसभापति हैं और सदन में हंगामे की एक बड़ी वजह यह भी है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं इसकी तुलना महान लोकतांत्रिक और सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के संसद से करना चाहता हूं जब वह प्रधानमंत्री थे. उस वक्‍त भी संसद में कभी-कभी लंबे समय तक संसद सत्र के दौरान कई रुकावटें आती थीं. लेकिन संसद के कामकाज के लिए सीधी जिम्‍मेदार सरकार, वरिष्‍ठ मंत्री जिम्‍मेदार होती है. क्‍योंकि उनका काम विपक्ष के गतिरोध को कम करना होता है.


साल 2003 का वाकया याद करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि मार्च 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला बोल दिया था, तब भारत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत कई पार्टियां संसद में हंगामा कर रही थीं. बजट सत्र में छुट्टी के बाद जब संसद का सत्र 7 अप्रैल 2003 को दोबारा शुरू हुआ तो विपक्षी पार्टियां संसद में एक निंदा प्रस्ताव पारित कराने की मांग कर रही थी. उस वक्त सुषमा स्वराज संसदीय कार्य मंत्री थीं जबकि यशवंत सिन्हा खुद विदेश मंत्री थे. यशवंत सिन्हा विपक्ष के इस प्रस्ताव के खिलाफ थे और विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर अमेरिकी हमले की निंदा की थी. इसके बावजूद संसद में हंगामा नहीं थमा था.


टिप्पणिया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुषमा स्‍वराज और मुझसे मुलाकात की थी. तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने हमें राजधर्म की याद दिलाते हुए कहा था कि संसद सुचारू रूप से चले यह सरकार की जिम्मेदारी होती है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेताओं के बीच अक्सर संसद के इतर भी संवाद होता रहता है. कभी मीडिया के माध्यम से तो कभी अनौपचारिक तरीके से. इन्हीं बातचीत के क्रम में कई बार समस्याओं का समाधान छिपा होता है.
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