मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी लंबी चिट्ठी - sisodia sent letter pm modi educational issues points

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के 9 सलाहकारों में से एक आतिशी मार्लेना को हटाए जाने पर नाराज़ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लंबी चिट्ठी लिख भेजी है. अपने पत्र में जहां एक तरफ सिसोदिया ने शिक्षा को लेकर अपने कामकाज की तारीफ की है, तो केंद्र सरकार पर शिक्षा विभाग के खिलाफ साज़िश रचने का आरोप भी लगाया है.

मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली के सरकारी स्कूलों को देखने के लिए आमंत्रित भी किया है. साथ ही तंज कसते हुए सिसोदिया ने पूछा है कि राजनीतिक विरोध के कारण उनकी शिक्षा की बेहतरी में लगे लोगों को हटाना कौन-सी देश भक्ति है?



1. आपको याद होगा कि 3 साल पहले जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी और मैं आपका आशीर्वाद लेने आए थे. हमने आपसे कहा था कि अगर आपका सहयोग और आशीर्वाद मिलेगा तो हम और आप मिलकर आने वाले कुछ वर्षों में दिल्ली को दुनिया के सबसे अच्छे शहरों में ले आएंगे, मैंने विशेष रूप से आपसे कहा था कि देश को लेकर आप जो सपने देख रहे हैं, जैसे कि स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि. उन्हें आपके सहयोग से व अपनी लगन और मेहनत से हम दिल्ली में इस तरह सच करके दिखायेंगे कि आपको भी गर्व महसूस होगा.

2. आज हमारे देश में शिक्षा के कई बेहतरीन स्कूल और संस्थान मौजूद हैं. लेकिन समस्या यह है कि अच्छी शिक्षा मुश्किल से सिर्फ 5 प्रतिशत बच्चों के लिए ही उपलब्ध है. बाकी 95 प्रतिशत बच्चों की शिक्षा के हालात बेहद खराब हैं, उसका कोई न्यूनतम पैमाना ही नहीं है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आने वाले अधिकतर बच्चे इसी 95 प्रतिशत आबादी से आते हैं. वे गरीब हैं, अधिकतर माता-पिता स्कूल नहीं गए, मुश्किल से मेहनत मजदूरी करके घर चलाते हैं. इसमें भी ज्यादा मुश्किल लड़कियों को होती है.

3. मैंने देखा है कि थोड़ा भी साधन उपलब्ध होने पर कई माता-पिता अपने बेटे को तो प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं पर बेटी को पैसे की कमी के कारण सरकारी स्कूल में मुफ्त शिक्षा दिलाने का फैसला करते हैं. इन परिवारों के बेटे और बेटियों के लिए सरकारी स्कूल में बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराना ही हमारे लिए सच्ची देश भक्ति है. हमारे लिए सही मायने में यही विकास है. इसी विजन परकाम करते हुए हमने दिल्ली में लगातार पिछले 3 साल से शिक्षा पर बजट कुल बजट का करीब 25 प्रतिशत बनाए रखा है.

4. इस बजट से हमने सरकारी स्कूलों में हजारों शानदार क्लासरूम बनवाए हैं, उनकी बिल्डिंग ठीक करवाई है. साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था की है. अध्यापकों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन व सिंगापुर आदि देशों में भेजा है. जो बच्चे अपनी किताबें भी ठीक से नहीं पढ़ पाते, उनके लिए चुनौती, मिशन बुनियाद जैसे सफल कार्यक्रम आयोजित किए हैं. स्कूलों में आपस में सीखने का वातावरण बनाने के लिए मेंटर टीचर प्रोग्राम शुरू किया है. माता-पिता की भूमिका और बढ़ाने के लिए लगातार मेगा-पीटीएम आयोजित की है. पढ़ाने और परीक्षा लेने के तौर-तराकों में बुनियादी परिवर्तन किए हैं हाल ही में दिल्ली में 5 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस शुरू किए हैं, जो गरीब लोगों के बच्चों को सरकारी स्कूल में मिल सकने वाली सुविधाओं और पढ़ाई के स्तर का एक मॉडल है.

5. चार दिन पहले अचानक आपने मेरी सलाहकार आतिशी मार्लिना को बर्खास्त कर दिया. आतिशी मार्लिना वो सलाहकार हैं जिसकी मदद से हमने उपरोक्त सभी प्रयासों के बारे में सोचा, उन्हें अमल में लाए और उन्हें सफलतापूर्वक लागू कर पाए. आतिशी मार्लिना खुद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज की टॉपर रही हैं. उसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एजुकेशन में मास्टर्स की पढ़ाई की, वे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रोड-स्कालरशिप और शैवनिंग-स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुकी हैं. देश के सर्व प्रतिष्ठित ऋषि वैली स्कूल में अध्यापक के रूप में भी उन्होंने काम किया, पिछले 3 साल से वह मेरे साथ शिक्षा मंत्री की सलाहकार के रूप से कार्य कर रही थी. इसके एवज में वे मात्र एक रुपये का वेतन लेती थी. ऐसी समर्पित देश भक्त और शिक्षित प्रतिभाशाली महिला को दिल्ली के बच्चों की शिक्षा के मौलिक काम से बर्खास्त कर आप क्या संदेश देना चाहते हैं.

6. हमारे देश में शिक्षा की व्यवस्था में निर्णय लेने वाले, योजना बनाने वाले और उन्हें अमल में लाने वाले शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव या शिक्षा निदेशक में से किसी का भी शिक्षा विशेषज्ञ होना अथवा शिक्षा अनुभवी होना आवश्यक नहीं है. मेरी राय में देश भर में सरकारी स्कूल सिस्टम के डूबने का एक बड़ा कारण यही है. हमने दिल्ली सरकार में इसलिए आतिशी मार्लिना जैसी सुशिक्षित एवं अनुभवी महिला को शिक्षा सलाहकार के रूप में रखा. इसके नतीजे भी सामने आए. आज पूरे देश में हमारे सबसे कट्टर विरोधी भी इस बात को मानते हैं कि दिल्ली सरकार ने 3 साल में शिक्षा पर बेहतरीन काम किया है और सरकारी स्कूलों की काया पलटने लगी है.

7. मुझे आश्चर्य है कि आपकी सरकार ने एक झटके में जिस तरह आतिशी मार्लीना को दिल्ली के शिक्षा मंत्री की सलाहकार से हटाने का आदेश जारी किया, उससे आप क्या हासिल करना चाहते हैं? आपके हमसे राजनीतिक विरोध हो सकते हैं लेकिन दिल्ली के बच्चों से तो नहीं। दिल्ली के बच्चे भी इसी देश के बच्चे हैं आप जब अपने आप को देशभक्त कहते हैं तो दिल्ली के बच्चों के बिना आपकी देश भक्ति कैसे पूरी हो सकती है? राजनीतिक विरोध के कारण उनकी शिक्षा की बेहतरी में लगे लोगों को हटाना कौन-सी देश भक्ति है?

8. आप अपने राजनीतिक विरोधियों को परास्त करने के लिए साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति अपनाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ते. आप अभी देश के प्रधानमंत्री हैं. आप के पास सत्ता की ताकत है और नशा है. इस नशे के दम पर आप सत्ता की ताकत का इस्तेमाल करके देश में कोई भी अच्छा काम रूकवा सकते हैं. लेकिन सोचिएगा जरूर कि एक दिन हम सबको भगवान के सामने जाना है और उसे जवाब देना है कि जब आप सत्ता के इस्तेमाल से देश के बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवा सकते थे तब आप शिक्षा के विकास में रोड़ा बनकर क्यों खड़े हुए? मैं तो दो तिहाई राज्य का अदना सा शिक्षा मंत्री हूं. मैनें तमाम अड़चनों के बावजूद दिल्ली में 8 हजार शानदार नए क्लास रूम बनावाए हैं. आपका बड़प्पन तब होता जब आप पूरे देश में 2 लाख नए शानदार क्लास रूम बनवाते. मैंने दिल्ली में 14 नए कॉलेज खुलवाए हैं. आपका बड़प्पन तब होता जब देश भर में 14 हजार नए कॉलेज खुलवाते.

9. मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप दिल्ली के स्कूलों को देखने के लिए किसी भी दिन मेरे साथ दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चलिए. मैं आपको दिखाना चाहता हूं कि अच्छे स्कूल बनवाने से देश के बच्चों के चेहरों पर कितनी खुशी झलकती है. मैं आपको दिखाना चाहता हूं कि दिल्ली की शिक्षा में हमने क्या बदलाव किया है। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मेरे निमंत्रण पर दो बार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आ चुके हैं और मेरे अनुरोध पर उन्होंने सरकारी स्कूलों में इतिहास की क्लास की पढ़ाई भी कराई. मैं आपको भी निमंत्रण देता हूं कि दिल्ली के सरकारी स्कूल और कॉलेजों में खुले मन से आइए और फिर देश भर में ऐसे ही खूब सारे स्कूल बनवाइए.

10. प्रधानमंत्री जी! मेरा आपसे अनुरोध है कि लकीर के सामने बड़ी लकीर खींचकर बड़ा बनिए. सामने वाले को साम-दाम-दण्ड-भेद से मिटाने से आप बड़़े नहीं बन सकते. आतिशी मार्लिना को दिल्ली की शिक्षा मंत्री के सलाहकार से हटाकर आपने मुझे नहीं, दिल्ली के बच्चों के भविष्य को भी मिटाने की कोशिश की. लोग कहते हैं आप योगी हैं. ध्यान-योग करते हैं. अबकी बार ध्यान में बैठें तो दिल्ली के बच्चों के चेहरों को ध्यान में रखिएगा. उनका आपसे सवाल है- अगर आप हमें कुछ दे नहीं सकते तो, जो हमारे लिए हो रहा है उसे रोकिए मत.





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