सर्वे में दावा-2019 में भाजपा के लिए खतरे की घंटी, घटता वोट प्रतिशत दे सकता है झटका- found-numbers-not-in-favour-of-modi-govt-in-2019

नई दिल्ली : मोदी सरकार अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे कर चुकी है. आम चुनावों में अब एक साल भी नहीं बचा है. ऐसे में जनता के मूड को लेकर जो सर्वे किया गया, उसमें भाजपा के लिए बहुत उत्साह बढ़ाने वाली खबर नहीं है. ऊपर से जिस तरह से विपक्षी दल एक साथ आ रहे हैं, उससे भाजपा की अगले साल मुश्किलें बढ़नी तय हैं. एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक अगले साल चुनावों में भाजपा अपने दम पर सत्ता में लौटती नहीं दिख रही है. ये सर्वे 19 राज्यों में 15859 लोगों के बीच किया गया. इसमें से 47 फीसदी से ये माना कि वह अगली बार मोदी सरकार के लिए वोट नहीं करेंगे. 39 फीसदी वोटर ने माना कि मोदी सरकार को अगला टर्म फिर से मिलना चाहिए. ये नंबर केंद्र सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ाने के लिए काफी हैं. अगर भाजपा को सत्ता में लौटना है तो उसे एनडीए का सहारा लेना पड़ेगा. पीएम मोदी शासन के 1,460 दिन पूरे, अच्छे दिनों पर क्या है विशेषज्ञों की राय जुलाई 2013 में जब यूपीए सरकार केंद्र में थी, उस समय भी सर्वे किया गया था, तो इसी तरह की संभावना कांग्रेस के बारे में जताई गई थी. उस समय 39 फीसदी लोगों ने यूपीए के खिलाफ वोट देने की बात कही थी और 31 फीसदी ने कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की बात कही थी. उस समय 30 फीसदी लोग किसी के भी पक्ष में नहीं थे. मई 2014 में जब परिणाम सामने आए थे तो यूपीए को मात्र 60 सीटें मिली थीं. 2019 से पहले मप्र, राजस्थान में कांग्रेस को मिल सकती है सत्ता, भाजपा को लगेगा झटका- सर्वे अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा भाजपा सरकार के खिलाफ इस सर्वे में मोदी सरकार के खिलाफ खासकर अल्पसंख्यक समुदाय में गुस्सा ज्यादा देखा गया है. सर्वे के अनुसार, तीन चौथाई मुस्लिम, क्रिश्चियन और आधे सिख नहीं चाहते कि अगले साल होने वाले चुनावों के बाद मोदी सरकार सत्ता में वापस आए. वहीं बहुसंख्यक हिंदु समुदाय की बात की जाए तो 44 फीसदी जहां मोदी सरकार के पक्ष में दिख रहे हैं. वहीं 42 फीसदी मोदी सरकार के खिलाफ हैं. सर्वे के मुताबिक 543 लोकसभा सीट पर अगर आज चुनाव हों तो एनडीए को 274, यूपीए को 164 और अन्य को 105 सीटें मिल सकती हैं. अगर 2014 से इसकी तुलना करें तो एनडीए को 49 सीटों का नुकसान होता दिख रहा, वहीं यूपीए इस बार बड़े फायदे में है. चुनाव की सूरत में यूपीए को 104 सीटें अधिक मिल सकती हैं. अन्य दलों को 48 सीटों का नुकसान हो सकता है.
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