चंडीगढ़,
[डॉ. रविंद्र मलिक]। गेहूं से एलर्जी होने पर इसका कोई प्रभावी इलाज नहीं
है। पूरी तरह से अनाज का खाना छोड़ने पर ही इससे बचा जा सकता है। अगर ऐसा
नहीं किया तो लगातार रहने वाली जलन से कैंसर तक हो सकता है। इस का खुलासा
हुआ है पीजीआइ की रिसर्च में। करीब 500 मरीजों पर की गई रिसर्च में सामने
आया कि बच्चों में इसके शिकार होने का खतरा ज्यादा होता है। हर 1000 लोगों
में से 30 लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
पीजीआइ में इलाज के लिए पहुंचे 500 लोगों पर की गई रिसर्च में सामने आए
नतीजे
शोध में पाया गया कि उत्तरी भारत में यह बीमारी देश के अन्य हिस्सों की
तुलना में ज्यादा पाई गई। ज्यादा मामले पंजाब व हरियाणा समेत उत्तर प्रदेश
व जम्मू-कश्मीर से आ रहे हैं। पीजीआइ में फिलहाल बीमारी की दवाई को लेकर
कई ट्रायल भी चल रहे हैं। पीजीआइ नैक्स वैक्स 2 नामक वैक्सीन को लेकर
क्लीनिकल ट्रायल भी कर रहा है।डॉ. अभिषेक के अनुसार, बीमारी को डाइग्नोस
करने का कोई प्रभावी तरीका फिलहाल नहीं है। बीमारी की पहचान के लिए आइजीए
टीटीजी टेस्ट किया जाता है जो कि पचास फीसदी तक ही विश्वसनीय है। इसमें
अलग-अलग किट डालकर टेस्ट होता है। इसमें बीमारी के लक्षण मिलने पर बायोपसी
द्वारा बच्चे के गले में पाइप डालकर शरीर के टिश्यू लिए जाते हैं।उन टिश्यू
को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है।वजन और लंबाई कम होने लगे तो सतर्क
हो जाएं१बच्चा अगर लगातार कमजोरी का शिकार हो रहा है और डायरिया से लगातार
परेशान है तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें। इलाज करवा रहे मरीजों की
स्टडी से पता चला है कि बीमारी से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में कम वजन और
लंबाई नहीं बढ़ने की समस्या पाई गई। उनके पेट में भी लगातार दर्द रहा।
एचएलए मोलेक्यूल और गेंहू के ग्लूटोन से होती है एलर्जी
पीजीआइ की स्टडी में सामने आया है कि शरीर में ह्यूमन लिकासाइड
एंटीजीन(एचएलए-डीक्यूजेड) नाम का मोलक्यूल होता है। अनाज में ग्लूटोन नाम
तत्व पाया जाता है। जब दोनों शरीर में मिलते हैं तो गेहूं से एलर्जी होती
है।
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