सुप्रीम कोर्ट में आधार के मामले पर सुनवाई पूरी, संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा- constitution-bench-of-the-supreme-court

नई दिल्ली : आधार और उससे संबंधित 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 4 महीने के दौरान 38 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार नामक मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आधार केस दूसरा मामला है जिसमें संविधान पीठ के समक्ष इतनी लंबी सुनवाई चली है।कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र का पक्ष रखा जबकि वरिष्ठ वकील जैसे कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, राकेश द्विवेदी, श्याम दीवान भी कई पक्षकारों की तरफ से पेश हुए। आपको बता दें कि आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई थीं। आधार का मुद्दा देशभर में काफी चर्चा में रहा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान डेटा की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठे। सुनवाई के दौरान केंद्र ने आधार को मोबाइल फोन से लिंक कराने के अपने फैसले का मजबूती से बचाव किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मोबाइल यूजर्स के अनिवार्य सत्यापन पर उसके पिछले आदेश को 'हथियार' के रूप में इस्तेमाल किया गया। इस बात की भी आशंका जताई गई कि आधार के लिए ली गई जानकारी कितनी सुरक्षित है? 18 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आधार डेटा लीक होने से चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आधार के लिए लिया जाने वाला डेटा सुरक्षित है, यह कहना मुश्किल है क्योंकि देश में डेटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून मौजूद नहीं है। बेंच में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अगर आधार डेटा का इस्तेमाल चुनाव नतीजों को प्रभावित करने में होगा तो क्या लोकतंत्र बच पाएगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में फेसबुक डेटा के अवैध तरीके से इस्तेमाल का मुद्दा भी छाया रहा था। UIDAI का तर्क यूआईडीएआई की ओर से कहा गया है कि 'बायोमेट्रिक डेटा किसी के साथ शेयर नहीं किया जाता है। जिसका आधार है उसकी सहमति के बिना ये किसी को नहीं दिया जाता। हम सुनिश्चित करेंगे कि डेटा लीक नहीं हो लेकिन 100 फीसदी गारंटी तो नहीं दी जा सकती है।' ...जब जज ने अपना अनुभव किया साझा आधार मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा किया था। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर से पीड़ित उनकी मां को पेंशन के लिए प्रमाणीकरण के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जस्टिस चंद्रचूड़ आधार योजना और 2016 के इसे प्रभावी बनाने वाले कानून की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य हैं। मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आधार प्रमाणीकरण में विफलता से जरूरतमंदों के सामने समस्या आ सकती है और इसके लिए कोई समाधान तलाशा जाना चाहिए। पीठ में जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविलकर और अशोक भूषण भी शामिल हैं। अपना अनुभव याद करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘पूर्व प्रधान न्यायाधीश की पत्नी होने के नाते पेंशन के लिए प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हर महीने बैंक प्रबंधक या उनके प्रतिनिधि घर आते थे और कुछ दस्तावेजों पर उनके अंगूठे का निशान लेते थे जिसके बाद ही उन्हें पेंशन मिल सकती थी।’
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