बिहार
के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी सरकार की चौथी सालगिरह पर दिए अपने एक
बयान की वजह से बैंकरों के निशाने पर आ गए हैं. खास बात ये है कि नीतीश ने
ये बयान बैंकरों के ही एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिया था.
अब बैंकर्स नीतीश को निशाना बना रहे हैं और नीतीश उसकी कीमत भी चुका रहे
हैं लेकिन मजेदार बात ये है कि ये सबकुछ वर्चुअल दुनिया में हो रहा है.
मतलब न धरना-प्रदर्शन, न नारेबाजी और न हड़ताल लेकिन सीएम को विरोध की तपिश
झेलनी पड़ रही है.
नीतीश ने क्या दिया था बयान
मुख्यमंत्री नीतीश ने पटना में राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा आयोजित
64वीं त्रैमासिक समीक्षा बैठक में कहा था, 'देश में विकास के लिए जो धनराशि
सरकार मुहैया कराती है, उसके सही आवंटन के लिए बैंकों को अपने तंत्र
सुदृढ़ करने होंगे. बैंक 'ऑटोनोमस' है, ऊपर से नीचे तक इन चीजों को देखना
होगा.' नीतीश ने नोटबंदी की विफलता के लिए बैंकों को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा कि बैंकों की भूमिका के कारण नोटबंदी का लाभ जितना मिलना
चाहिए था, उतना नहीं मिला.
फेसबुक पर लिया बैंकरों ने बदला
नीतीश के बयान से नाराज लोगों ने सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर नीतीश कुमार
के खिलाफ मुहिम छेड़ दी. इनमें ज्यादातर बैंककर्मी ही हैं. देश के अलग-अलग
राज्यों, बैंकों में काम करने वाले लोगों ने नीतीश कुमार के ऑफिशियल फेसबुक
पेज की रेटिंग घटाना शुरू कर दिया है. पिछले दो दिन में 16 हजार लोगों ने
नीतीश कुमार के फेसबुक पेज को 1 रेटिंग दी है. इसका नतीजा ये हुआ कि बिहार
के मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज की रेटिंग 4.8 से घटकर 1 रह गई है.
रेटिंग घटने का क्या है मतलब
टेक एक्सपर्ट मुन्ज़िर अहमद के मुताबिक किसी भी फेसबुक पेज पर रेटिंग का एक
सिस्टम होता है. पेज ऐडमिन चाहे तो इसे पब्लिक कर सकता है या हटा सकता है.
अगर ये पब्लिक है तो कोई भी फेसबुक यूजर पेज को रेटिंग दे सकता है. यह
स्टार रेटिंग होती है और इसमें 1 से लेकर 4 स्टार तक होते हैं. पेज की
स्टार रेटिंग इस बात पर निर्भर करती है कि कितने यूजर्स ने कितने स्टार दिए
हैं. उदाहरण के तौर पर ज्यादातर यूजर्स इस पेज को 1 स्टार दे रहे हैं तो
यहां सिर्फ एक ब्लू स्टार दिखेगा. इसे क्लिक करने से आप उन लोगों को भी देख
पाएंगे जिन्होंने स्टार रेटिंग दी है और कमेंट किया है.
रेटिंग घटाने का कारण भी बता रहे हैं बैंकर्स
ऐसा नहीं है कि पेज को कम रेटिंग करने वाले लोग यह काम दबे-छुपे कर रहे
हैं. वो ऐसा करने की वजह भी बता रहे हैं. ज्यादातर लोग ऐसा करते हुए अपनी
बात बतौर कमेंट वहां लिख रहे हैं और उन्हीं में से कुछ के अकाउंट चेक करने
से यह बात सामने आती है कि ऐसा करने वालों में बड़ी संख्या बैंक कर्मियों की
है.
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नीतीश ने उठाए नोटबंदी पर सवाल, तो नाराज बैंकर्स ने ऐसे गिराई FB पर रेटिंग- nitish-kumar-demonetisation-comment
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