नेपाल के जनकपुर में PM मोदी का भव्य स्वागत, जानकी मंदिर में करेंगे पूजा-अर्चना- /international-pm-modi-two-days-nepal-visit-also-visit-janaki-temple-in-janakpur

नई दिल्ली: नेपाल और भारत के बीच के रिश्तों की खटास को कम करने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नेपाल पहुंचे। अपनी दो दिवसीय नेपाल यात्रा की शुरुआत उन्होंने मां सीता की जन्मस्थली जनकपुर से की। जहां उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। इसके बाद वे जानकी मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करेंगे। अपने चार साल के कार्यकाल में ये उनका तीसरा नेपाल दौरा है। वहीं, नेपाल में नई सरकार बनने के बाद भारत की ओर से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। वैसे तो प्रधानमंत्री का यह दौरा धार्मिक बताया जा रहा है, लेकिन इसे दोनों देशों के बीच के रिश्तों की खटास के कम करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल, नेपाल और भारत के बीच कमजोर होते भरोसे और नेपाल में चीन की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए मोदी का नेपाल दौरा कूटनीतिक तौर से अहम माना जा रहा है। पिछले महीने नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली भी भारत आए थे। ऐसे में अब मोदी का जाना खास संदेश देता है।जनकपुर से यात्रा की शुरुआत - पीएम अपने दो दिन के अपने धार्मिक दौरे की शुरुआत जनकपुर से की, यहां वे राम जानकी मंदिर में विशेष पूजा करेंगे। - मोदी यह 'खोडासोपचर' अनुष्ठान करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे। जानकी मंदिर के पुजारी राम तपेश्वर दास वैष्णव ने बताया कि मोदी से पूर्व भारत के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्‌डी, ज्ञानी जेल सिंह और प्रणब मुखर्जी भगवान राम की पत्नी के मंदिर में दर्शन कर चुके हैं।- नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और मोदी संयुक्त रूप से देवी सीता के जन्म स्थान जनकपुर से भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या को जोड़ने वाले रामायण सर्किट बस मार्ग का उद्घाटन करेंगे- इसके बाद शनिवार (12 मई) को मोदी उत्तर-पश्चिम नेपाल के मस्तंग जिले में स्थित मुक्तिनाथ मंदिर के दर्शन करेंगे। -मोदी पशुपतिनाथ मंदिर में भी पूजा करेंगे हाइड्रो प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे PM मोदी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते होंगे। इनमें अरुण तृतीय पनबिजली संयंत्र का शिलान्यास सबसे अहम है। पीएम मोदी इस दौरान प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे। इससे 900 मेगावॉट बिजली पैदा होगी और इसके 5 साल में पूरा होने की उम्मीद है। यह संयंत्र भारत के सतलज जल विद्युत निगम के अंतर्गत आता है।
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