सोनम कपूर की शादी के जश्न से कहीं बड़ा है बॉलीवुड में इस टैबू का टूटना- sonam-kapoors-wedding

बॉलीवुड अभिनेत्री और अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर, दिल्ली के कारोबारी आनंद आहूजा के साथ 8 मई को शादी कर रही हैं. पिछले छह महीने में यह दूसरा मौका होगा जब कोई बॉलीवुड अभिनेत्री अपने करियर के पीक में शादी कर रही है. दिसंबर 2017 में अनुष्का शर्मा ने क्रिकेटर विराट कोहली के साथ धूमधाम से शादी की थी. दीपिका पादुकोण भी लंबे वक्त से रणवीर सिंह को डेट करने के बाद साल के अंत तक शादी कर सकती हैं. तीनों अभिनेत्रियों की उम्र 30 से 32 साल के बीच है. शुरू में दो-तीन हीरोइनों ने ग्लैमर वर्ल्ड में शोहरत की बुलंदी पर शादी का फैसला लिया और फिल्में भी करती रहीं. मिलेनियम ईयर से ठीक एक साल पहले काजोल ने जो नई परंपरा शुरू की थी, 2012 में करीना कपूर खान की शादी के बाद बॉलीवुड में ये बदलाव मजबूत होता नजर आ रहा है. रिलेशनशिप या लिव इन अब बॉलीवुड के लिए एक आम बात है. ये बदलाव इसलिए दिलचस्प है क्योंकि 2000 से पहले ऐसा दिखाई नहीं पड़ता था. शादी तो दूर की बात, अभिनेत्रियां अपने अफेयर तक छिपाती थीं. सीनियर फिल्म क्रिटिक अजय ब्रह्मात्मज कहते हैं, इसके कई कारण थे. ढर्रे की फिल्में और दर्शकों का अपना पुरातन ख्याल. पहले शादी या 40 की उम्र पार करने के बाद हीरोइनों को फिल्मों में केंद्रीय भूमिका के लायक नहीं माना जाता था. तब उनके हिस्से मां, बहन या दूसरी चरित्र भूमिकाएं आती थीं. फिल्म समीक्षक और ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा कहते हैं, उस दौर में (2000 से पहले) एक्शन, फैमिली ड्रामा या रोमांटिक फिल्में बना करती थीं. यहां हीरोइनें ज्यादातर शो पीस भर थीं. तब इस तरह की सोच भी थी कि फिल्मों में शादीशुदा हीरोइनों को देखना दर्शक पसंद नहीं करेंगे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. सोसाइटी में बदलाव का असर फिल्मों में भी नजर आ रहा है. अब हीरोइनों की उम्र या उनकी शादीशुदा जिंदगी कोई टैबू नहीं है. कोमल ने मुताबिक पिछले दो दशक में जिस तरह समाज में वर्किंग वुमंस का उभार हुआ है, फिल्मों पर भी उसका असर पड़ा है. लोगों की सोच बदली है. कभी ये एक प्रवृत्ति थी, पर अब ये कोई मसला नहीं है. अजय इस बदलाव के पीछे पिछले 17-18 सालों में हीरोइनों के फ़िल्मी किरदार में आए वजन को भी देखते हैं. उनके मुताबिक, 2000 के बाद की फ़िल्मी कहानियां ज्यादा मजबूत हुई हैं. ग्लैमर की जगह फ़िल्मी किरदार ज्यादा अहम हुए हैं. अभिनेत्रियां भी कथानक के केंद्र में आई हैं. ख़ास बात यह है कि अब दर्शकों का समूह भी बदला है. कोमल की नजर में - अब के दर्शक की रेंज ज्यादा बड़ी है. वह सिर्फ एक्शन या हीरो-हीरोइन के रोमांस वाली कहानियां भर नहीं देखना चाहता है. इसी बदले ट्रेंड की वजह से पिछले कुछ सालों में एक्शन और फैमिली ड्रामा बननी कम हुई हैं. अब हर किस्म की फिल्में बन रही हैं. क्योंकि ऑडियंस सब तरह की, लेकिन अच्छी फिल्में देखना चाहता है. इसी ट्रेंड से महिलाओं के फ़िल्मी किरदार को प्रमुखता मिली है. अब जो फिल्में आ रही हैं उसमें महिलाओं के किरदार शो पीस भर नहीं हैं. सिनेमा उस दौर में है जहां हीरोइनों की उम्र या उनके मैरिटल स्टेटस का कोई महत्व नहीं है.
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