उपेंद्र कुशवाहा ने ठुकराया तेजस्वी का न्योता, कहा- 2019 में दूंगा मोदी का साथ

पटना : उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव की तरफ से महागठबंधन में शामिल होने के न्योते को सीधे तौर पर ठुकरा दिया है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि आरजेडी ने अपना जनाधार खो दिया है इसलिए ऐसे बयान आ रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि देशहित में मोदी का पीएम बने रहने जरूरी है और वह उनका साथ देंगे। 


उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान ने बिहार के उस सियासी पारे को गिरा दिया जो रविवार को तेजस्वी के एक ट्वीट के बाद चढ़ गया था। दरअसल रविवार को आरजेडी नेता और पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर उपेंद्र कुशवाहा को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया था। ऐसी खबरें आ रहीं थीं कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर नीतीश को ज्यादा तवज्जो मिलने से उपेंद्र कुशवाहा नाखुश हैं। तेजस्वी ने इसी मौके को भुनाने के लिए एनडीए में फूट डालने के लिए एक राजनीतिक दांव चला था।
तेजस्वी ने अपने ट्वीट में लिखा कि बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा का सम्मान नहीं कर रही है। उन्होंने लिखा कि 'उपेंद्र कुशवाहा को 4 सालों से एनडीए में उपेक्षित किया जा रहा है। हम उन्हें महागठबंधन में शामिल होने का न्योता देते हैं।' अभी तेजस्वी की इस राजनीतिक चाल पर चर्चे शुरू ही हुए थे कि उपेंद्र कुशवाहा ने मामला ही पलट दिया।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि, 'आरजेडी ने अपना जनाधार खो दिया है। जनाधार तलाशने के लिए वे ऐसे बयान दे रहे हैं लेकिन मेरे लिए इनका कोई मतलब नहीं। देशहित के लिए यह जरूरी है कि मोदी पीएम बने रहें। अगले पीएम भी वही बनेंगे।' आरएलएसपी चीफ ने साफ तौर पर इस का संकेत देने की कोशिश की है कि बिहार में एनडीए मजबूत है और किसी तरह की फूट नहीं है।

बिहार में एनडीए की एकजुटता को लेकर इसलिए हो रहे हैं चर्चे
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी तरफ से मामला साफ तो कर दिया है लेकिन पिछले दिनों के कुछ राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे रहे हैं जिनकी वजह से बिहार में एनडीए की एकजुटता को लेकर चर्चे हो रहे हैं और सवाल खड़े किए जा रहे हैं। दरअसल पिछले हफ्ते शुक्रवार को बिहार में एनडीए के घटक दलों की बैठक हुई थी। माना जा रहा था कि इस बैठक में 2019 के चुनावों को लेकर सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले पर भी चर्चा होगी, लेकिन कुशवाहा इस बैठक में नहीं पहुंचे।

हालांकि कुशवाहा ने बाद में निजी कारणों का हवाला दिया, लेकिन तबतक चर्चाएं जोर पकड़ चुकी थीं। दरअसल एनडीए के दो अहम घटक दलों जेडीयू और आरएलएसपी के प्रवक्ताओं ने भी ऐसे कुछ बयान दिए जिसकी वजह से गठबंधन में एकजुटता को लेकर सवाल खड़े हुए। पहले जेडीयू के प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा हैं इसलिए उनकी पार्टी को सबसे अधिक सीटें (40 में से 25) मिलनी चाहिए। इस पर आरएलएसपी की तरफ से तुरंत पलटवार हुआ।

आरएलएसपी नेता नागमणि ने कहा कि उनकी पार्टी नीतीश कुमार को नेता नहीं मानती है। इन्हीं वजहों से बिहार में सियासी चर्चाएं शुरू हुईं थी और तेजस्वी को कुशवाहा के लिए न्योता भेजने का मौका मिल गया। हालांकि कुशवाहा ने इसे ठुकरा कर एकता का संदेश तो दिया है लेकिन बिहार में एनडीए का सीट शेयरिंग का फॉर्म्युला अभी भी उलझा हुआ है।
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