चीन को डर, ट्रंप-किम समिट के बाद पाला न बदल ले उत्तर कोरिया- /china-gets-jittery-about-north-koreas

पेइचिंग :उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक संबंधों को लेकर चीन अभी तक सर्वोच्च भूमिका में रहा है। अमेरिका के साथ वार्ता से पहले चीन ने दो बार उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन की मेजबानी भी की है। अब मंगलवार को दोनों देशों के नेताओं के बीच यह ऐतिहासिक वार्ता होने जा रही है लेकिन पेइचिंग इस समिट से घबराया हुआ है और उसे डर है कि कहीं इसके बाद किम जोंग-उन पाला बदलकर चीन को किनारे न कर दे। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी नेता इस बात को लेकर बेचैन हैं कि क्या शीत युद्ध के समय से पेइचिंग का दोस्त रहने वाले उत्तर कोरिया के साथ इस समिट के बाद भी उसके वैसे ही रिश्ते रहेंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन के नेताओं को यह चिंता सता रही है कि किम जोंग चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अपने लंबे समय से दुश्मन रहे अमेरिका को गले लगा सकते हैं। विशेषज्ञों की माने तो, ट्रंप को कुछ आकर्षक डील के ऑफर से किम ऐसा कर सकते हैं। इस डील में उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार छोड़ने का वादा भी शामिल है, जिसके बदले में उसे अमेरिकी मदद मिल सकती है ताकि चीन पर उसकी पूरी निर्भरता खत्म हो सके। उत्तर कोरिया के विषय पर चीनी इतिहासकार शेन झिहुआ कहती हैं, 'उत्तर कोरिया कभी भी चीन पर भरोसा नहीं कर सका है और उसकी बदला लेने जैसी मानसिकता है। सबसे बुरा परिणाम यह हो सकता है कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया सब एक साथ हो जाएं और चीन को किनारे कर दिया जाए।' विशेषज्ञों को यह भी डर है कि अमेरिका सिंगापुर में होने वाली बैठक में एक यूनाइटेड कोरियाई प्रायद्वीप की भी बात रख सकता है जो उत्तर को दक्षिण कोरिया से जोड़ेगा। दक्षिण कोरिया वॉशिंगटन का करीबी सहयोगी देश है। चीन के लिए यह बेहद परेशान करने वाली स्थिति होगी जब अमेरिकी सैनिक उसके दरवाजे पर होंगे और अब तक ऐसा होने से रोकने वाले उत्तर कोरिया की भूमिका भी खत्म हो जाएगी। चीन की तरह पाला न बदल ले उत्तर कोरिया कुछ हद तक तो यह भी आशंका जताई जा रही है कि उत्तर कोरिया ठीक उसी तरह अपना पाला बदल ले जैसे चीन ने 1972 में किया था। जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पेइचिंगा का दौरा किया था और माओ से-तुंग ने अमेरिका संग दोस्ती के लिए सोवियत से चीन को दूर कर लिया था। कुछ ऐनालिस्ट्स का यह भी मानना है कि अमेरिका अब उत्तर कोरिया को अपने पाले में कर लेगा और चीन से दूर कर देगा।
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