लखनऊ
यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी एक तरफ जहां बंगले को क्षतिग्रस्त किए जाने के
मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमलावर रुख अपनाए हुए
है। वहीं दूसरी तरफ बीएसपी सुप्रीमो मायावती के द्वारा अपने बंगले को
कांशीराम मेमोरियल बनाए जाने के मामले में बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि यह विपक्षी पार्टियों को एकजुट होने से रोकने
की बीजेपी की रणनीति है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार समाजवादी पार्टी पर
बीजेपी के हमलावर रुख और छवि धूमिल करने की कोशिश से अन्य पार्टियां
गठबंधन के लिए सहज नहीं महसूस करेंगी। इससे पहले भी 1995 में एक बार बीजेपी
ने गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती को सीएम की कुर्सी पर बैठने में सपॉर्ट
किया था। उस वक्त एसपी और बीएसपी का गठबंधन में टूट गया था और दोनों दलों
के बीच इस साल तक दरार पड़ी रही। अब अखिलेश की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी
और बीएसपी के बीच गठबंधन से परिस्थितियां बीजेपी के प्रतिकूल हो गई हैं,
जहां उसे 3 लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा।
अखिलेश पर हमला, माया पर सॉफ्ट
बीजेपी ने मायावती पर सॉफ्ट रुख अपनाया हुआ है, जिन्होंने 13, मॉल एवेन्यू
बंगले को आलीशन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी। दो जून को बीएसपी
सुप्रीमो मायावती ने 13-ए मॉल एवेन्यू का अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया
था। इस दौरान उन्होंने मीडिया के लोगों को बंगला दिखाते हुए कांशीराम
मेमोरियल का दावा ठोका था। मायावती के इस कदम को अपनी दलित पहचान और पार्टी
के कोर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
दलित वोटर्स पर है फोकस!
राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार मायावती के खाली किए सरकारी बंगले को
कांशीराम मेमोरियल बनाने पर विचार कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना
है कि बीजेपी कांशीराम मेमोरियल पर कोई विवाद खड़ा करके दलित वोटरों की
नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती, जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी
को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया था।
बीजेपी की कोशिश हमेशा यही रहेगी कि 2019 में एकजुट विपक्ष के खिलाफ सीधी
लड़ाई की बजाय विपक्षी एकता को तोड़ दिया जाए। एसपी अध्यक्ष अखिलेश पर ताजा
हमलों में बीजेपी ने 'टोटी' के मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठाया। अखिलेश
ने बंगला मामले में बुधवार को हाथों में टोटी लिए आक्रामक तरीके से बीजेपी
पर हल्ला बोला। यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने अखिलेश की इस
प्रतिक्रिया की हंसी उड़ाते हुए कहा कि चोर की दाढ़ी में तिनका।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अखिलेश यादव ने अपना सरकारी बंगला खाली
कर दिया था। उनके जाने के बाद जब उनके 4, विक्रमादित्य मार्ग स्थित बंगला
खोला गया तो अंदर का हाल देखकर सभी दंग रह गए। कभी आलीशान महल की तरह दिखने
वाला यह बंगला अंदर से तहस-नहस मिला। एसी, स्विच बोर्ड, बल्ब और वायरिंग
तक गायब मिले। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्सऔर लॉन उजड़े हुए हैं। सीढ़ियां तोड़
दी गई हैं। साइकल ट्रैक भी खोद दिया गया है। बंगले में पहली मंजिल पर (जहां
अखिलेश रहते थे) वहां बने सफेद संगमरमर के मंदिर के अलावा कोई हिस्सा ऐसा
नहीं है, जहां तोड़फोड़ न की गई हो।
बीजेपी ने इसे जनता के पैसों की बर्बादी के अलावा यह भी बताया कि इसे सजाने
के लिए राज्य सम्पत्ति विभाग ने दो किस्तों में 42 करोड़ रुपए जारी किए
थे। इसके साथ ही कैराना उपचुनाव में प्रचार के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ
ने अखिलेश के हाथ दंगों और मासूमों के खून से सने होने का आरोप लगाया था।
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'बंगला पॉलिटिक्स': मायावती पर बीजेपी का सॉफ्ट रुख, अखिलेश को अलग-थलग करने की है कोशिश!- /going-soft-on-maya-bjp-uses-row-over-bungalow
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