नई दिल्ली
:प्रदूषण के खतरे को झेल रहे एनसीआर के लोगों के लिए एक खबर राहत देने वाली है। दरअसल, यहां 4,000 से अधिक ईंट भट्टों ने एडवांस जिग-जैग टेक्नॉलजी को अपना लिया है जो कार्बन उत्सर्जन कम से कम 50 प्रतिशत तक घटा देता है। ऐसा इसलिए संभव हुआ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अधिकृत पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) ने ईंट भट्ठे के मालिकों को आदेश दिया था कि वे जल्द से जल्द जिग-जैग टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। प्राधिकरण ने कहा था कि ये भले ही महंगे हैं, लेकिन उन्हें स्वच्छ टेक्नॉलजी को अपनाना होगा। इस आदेश के तहत अब 4000 से अधिक ईंट भट्ठे ने एक एडवांस जिग-जैग टेक्नॉलजी को अपनाया है। यह एक महंगी टेक्नॉलजी है जिसके लिए प्रत्येक ईंट भट्ठा मालिक को 10 लाख रुपये खर्च करने पड़े हैं। बता दें कि जनवरी 2017 में (EPCA) ने अपने आदेश में कहा था कि जो भट्ठे जिग-जैग टेक्नॉलजी को चुनेंगे सिर्फ उन्हें ही अक्टूबर के बाद एनसीआर में चलने देने की अनुमति होगी।
मॉनसून के कारण जुलाई से अक्टूबर तक बंद रहने वाले ईंट भट्टे वायु प्रदूषण के कारण सर्दियों में भी बंद रहे। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के ईंट भट्ठा मालिकों ने कहा कि उन्हें एक टाइम फ्रेम दिया जाना चाहिए कि उन्हें कब काम बंद रखना है। वहीं कुछ मालिकों ने मांग की है कि जब उन्होंने स्वच्छ टेक्नॉलजी को अपना लिया है तो उन्हें प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग की कैटिगरी से हटा दिया जाना चाहिए।
उधर, EPCA ने हरियाणा और यूपी को पलूशन अंडर कंट्रोल (PUC) प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नहीं मानने के लिए फटकारा लगाई है, जबकि दिल्ली ने लगभग सभी आदेशों पर अमल कर लिया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया है कि इस साल उन 68,000 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिनके पास वैध PUC नहीं है। EPCA के एक सदस्य ने कहा, 'हरियाणा और यूपी, दिल्ली से सीख ले सकते हैं।'
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प्रदूषण रोकने NCR में 4000 ईंट भट्ठों ने अपनाई ग्रीन टेक्नॉलजी, 50 प्रतिशत घटेगा कार्बन उत्सर्जन- 4000-ncr-brick-kilns
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