जम्‍मू-कश्‍मीर: क्‍या राज्‍यपाल एनएन वोहरा को भी बदल सकती है मोदी सरकार?- will-modi-government-replace-nn-vohra

नई दिल्‍ली: जम्‍मू-कश्‍मीर में बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई है. राज्‍य में राज्‍यपाल शासन लगा दिया गया है. वोहरा के राज्‍यपाल रहते राज्‍य में 4थी बार राज्‍यपाल शासन लगा है. इससे पहले 2008, 2015 और 2016 में राष्‍ट्रपति शासन लगा था. राज्‍यपाल वोहरा का यह दूसरा कार्यकाल है, जो 26 जून को खत्‍म हो रहा है. दिल्‍ली में कयास लग रहे हैं कि केंद्र सरकार वोहरा को भी बदल सकती है. लेकिन अंदरखाने यह चर्चा आम है कि अमरनाथ यात्रा के खत्‍म होने तक वोहरा को हटाया नहीं जाएगा. अमरनाथ यात्रा 28 जून से शुरू होकर 26 अगस्‍त तक चलेगी. इसके अलावा केंद्र सरकार के पास भी वोहरा के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है. केंद्रीय गृह सचिव रह चुके हैं वोहरा एनएन वोहरा केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं. उन्‍हें जम्‍मू-कश्‍मीर के राजनीतिक परिदृश्‍य का अच्‍छा तजुर्बा है. वह पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल के प्रमुख सचिव भी थे और कश्‍मीर मसले पर बातचीत के दौरान केंद्र की ओर से वार्ताकार की भूमिका निभा चुके हैं. 2008 में जब कांग्रेस-पीडीपी सरकार गिर गई थी तो उन्‍होंने 178 दिन तक राज्‍यपाल शासन के तहत राज्‍य का शासन संभाला था. उस समय अमरनाथ भूमि को लेकर विवाद खड़ा हुआ था. उस बार कोई भी दल सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया था. फिर 2016 में राज्‍यपाल शासन की नौबत तब आई थी, जब मुख्‍यमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्‍मद सईद की मौत हो गई थी. फिर महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली थी और मुख्‍यमंत्री बनी थीं.2008 से हैं जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल 1959 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी वोहरा पहले गैर-सेना, गैर-आईपीएस उम्‍मीदवार हैं जो बीते 18 साल में जम्‍मू-कश्‍मीर में राज्‍यपाल के पद पर नियुक्‍त किए गए. 2008 में संप्रग शासन के दौरान उन्‍हें राज्‍यपाल बनाया गया था. फिर 2013 में उन्‍हें एक्‍सटेंशन मिला. केंद्र सरकार राज्‍यपाल के पद पर इतने समय तक रहने का लाभ उन्‍हें दे सकती है. यह भी उम्‍मीद है कि उनका कार्यकाल फिर बढ़ा दिया जाए. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से कहा कि वोहरा को अमरनाथ यात्रा खत्‍म होने तक इस पद पर बने रहने को कहा गया है. यह यात्रा 28 जून से शुरू होगी और गवर्नर ही इसका इंचार्ज होता है. वह ही अमरनाथ श्राइन बोर्ड का मुखिया होता है.
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