चीन ने डोकलाम में 'भारतीय सेना से निपटने' को बताई साल 2017 की बड़ी उपलब्ध‍िchina-government-lists-doklam-among-2017-achievements

चीन सरकार ने डोकलाम में कथित रूप से 'भारतीय सेना के अतिक्रमण' से निपटने को साल 2017 की अपनी छह बड़ी कूटनीतिक उपलब्ध‍ियों में गिनाया है. चीन के विदेश मंत्रालय के नीति नियोजन विभाग द्वारा प्रकाशित आधिकारिक रिकॉर्ड 'चीन के विदेशी मामले 2018' में साल 2017 के दौरान चीन के कूटनीतिक कदमों की आधिकारिक समीक्षा और दुनिया के बारे में चीन के दृष्ट‍िकोण को प्रकाशित किया गया है. इस पुस्तक के दूसरे अध्याय में चीन की कूटनीति पर फोकस है. इसमें शी जिनपिंग सरकार की पिछले साल की कूटनीति में छह बड़ी सफलताओं का उल्लेख किया गया है. इसमें छठी सफलता के बारे में बताते हुए कहा गया है, 'चीन ने अपने डोंगलांग इलाके में भारतीय सीमा सैनिकों के अतिक्रमण को शांतिपूर्वक और कूटनीतिक तरीकों से हल किया. इस तरह चीन ने अपनी क्षेत्रीय संप्रुभता बनाए रखते हुए यह भी सुनिश्चित किया कि चीन-भारत के रिश्ते सही दिशा में आगे बढ़ें.'क्या था डोकलाम विवाद? गौरतलब है कि चीन डोकलाम इलाके को डोंगलांग नाम देते हुए इसे अपना हिस्सा बताता है, जबकि भूटान इस पर अपना अधिकार मानता है. साल 2017 में जुलाई-अगस्त के दौरान सिक्किम सीमा सेक्टर के पास डोकलाम में भारत और चीनी सेनाएं दो महीने से भी ज्यादा समय से आमने-सामने थीं. यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब इस इलाके में चीनी सेना द्वारा किए जाने वाले सड़क निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया. भारत की चिंता यह है कि अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब रहता है तो उसके लिए कभी भी उत्तर-पूर्व के हिस्से तक शेष भारत की पहुंच को रोक देना आसान हो जाएगा. दो महीने के गतिरोध के बाद आखिर चीन ने वहां सड़क निर्माण रोक दिया था. तब इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया था. कम्युनिस्ट चीन बना ग्लोबलाइजेशन का रक्षक! इस किताब में साल 2017 की पहली उपलब्ध‍ि राष्ट्रपति शी के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का 'खाका' तैयार करना और मई 2017 में बेल्ट ऐंड रोड फोरम का आयोजन करना बताया गया है. दूसरी उपलब्ध‍ि के रूप में कहा गया है कि इस दौरान चीन दुनिया में वैश्वीकरण के रक्षक के रूप में उभरा है. किताब में साल 2017 की प्रमुख कूटनीतिक घटनाओं में दिसंबर में दिल्ली में होने वाले 20वें दौर की सीमा वार्ता को शामिल किया गया है. किताब में भारतीय एनएसए अजित डोभाल और चीन के तत्कालीन स्टेट काउंसिलर यांग जिएची के बीच सीमा वार्ता के बाद हुए उस समझौते का उल्लेख किया गया है जिसमें दोनों देशों ने 'संचार और समन्वय बढ़ाने तथा सीमा पर शांति एवं स्थ‍िरता बनाए रखने के लिए सीमा विवाद को समुचित तरीके से हल करने की जरूरत' पर जोर दिया था. किताब में चीन के पश्चिम की दिशा में दो बड़े जोखिम के रूप में म्यांमार के रखाइन प्रांत के रोहिंग्या मसले और भारत-पाकिस्तान के कथित नाजुक रिश्ते को दिखाया गया है. किताब में यह भी कहा गया है कि दक्ष‍िण एशिया में भारत-अमेरिका का तालमेल बढ़ रहा है और ट्रंप की 'मुक्त और खुली भारत-प्रशांत रणनीति' की वजह से अमेरिका की भारत के साथ सामरिक साझेदारी बढ़ी है और उसने भारत को अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका निभाने को प्रोत्साहित किया है.
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