2019 चुनाव: एसपी-बीएसपी गठबंधन की 'दीवार' गिराने के लिए PM मोदी का ये है 'प्लान यूपी'- pm-modi-up-plan-to-destroy-sp-bsp-alliance-in-2019

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 की सबसे बड़ी लड़ाई यूपी की रणभूमि पर होनी तय है. पीएम मोदी की राह में विपक्षी गठबंधन को सबसे बड़ी दीवार बताया जा रहा है. पीएम मोदी ने इस दीवार को ध्वस्त करने के लिए प्लान तैयार किया है. पढ़िए इसके लिए क्या है पीएम मोदी का यूपी प्लान: प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को लखनऊ में 60,000 करोड़ की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. चुनावी साल में विकास की इस सौगात को 2019 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश का रण बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि विपक्षी गठबंधन इसी प्रदेश में सबसे ज्यादा मजबूत दिख रहा है. यही वजह है कि सालभर पहले से बीजेपी यूपी में 2014 जैसा प्रदर्शन दोहराने के लिए गंभीर है. यही वजह है कि पीएम मोदी के दौरे यूपी में अचानक बढ़ गए हैं. दिल्ली की सत्ता की राह यूपी से होकर गुजरती है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. विपक्ष के गठबंधन को पीएम मोदी विकास की रफ्तार से चुनौती देना चाहते हैं. 2014 में यूपी की जनता ने बीजेपी को 80 में 71 सीटें देकर अपना प्यार बरसाया था. 2019 में पीएम मोदी को एक बार फिर से उसी प्यार की दरकार है. चुनावी साल में उत्तर प्रदेश में एकमुश्त 60,000 के निवेश को बीजेपी बड़ी उपलब्धि बता रही है. पूरे प्रदेश में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने और आईटी सेंटर स्थापित करने की कवायद भी जारी है. पीएम मोदी ने संकेत दिया कि एक बार फिर से विकास के सहारे ही मैदान में उतरेंगे और विपक्षी एकता को ध्वस्त करेंगे. 2014 में मोदी की सूनामी में बह चुकी कांग्रेस, सपा, बसपा अब एक नाव में सवार होकर मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं. 2014 में बीजेपी ने मोदी मैजिक के चलते 71 सीटें पर कब्जा जमाया था. सहयोगी अपना दल ने 2 सीटों पर कब्जा जमाया था. समाजवादी पार्टी को 5 और कांग्रेस के खाते में 2 सीटें आईं थीं. कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली सीट पर ही जीत मिल पाई थी. बसपा का तो खाता भी नहीं खुल पाया था. तीन साल बाद 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए सपा ने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया लेकिन अखिलेश-राहुल के तमाम दावे पीएम मोदी के मैजिक के आगे धराशायी हो गए. जब नतीजे आए तो बीजेपी ने पहली बार यूपी में 325 सीटें जीतीं. समाजवादी पार्टी ने 47, बसपा ने 19 और कांग्रेस महज 7 सीटों पर सिमट गई. विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साबित किया कि 2014 में यूपी की जनता ने जो भरोसा बीजेपी पर किया, वह 2017 में भी कायम है. लेकिन 2018 आते-आते यह तस्वीर बदलती दिखी. बीजेपी यूपी की दो अहम सीट गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार गई और चार साल में पहली बार एसपी-बीएसपी गठबंधन ने बीजेपी के विजय रथ पर लगाम लगा दी. गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटों से समाजवादी पार्टी को जीत गई. इन नतीजों ने जहां एक ओर विपक्षी दलों को मोदी मैजिक को फेल करने का फॉर्मूल दिया तो वहीं बीजेपी के माथे पर शिकन ला दिया. कर्नाटक में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में विपक्षी नेताओं के चेहरे चार साल में पहली बार चमकते दिखे तो यह इसी फॉर्मूले के मिलने का असर था. यूपी में जब विपक्षी गठबंधन ने बीजेपी से कैराना सीट छीन ली तो यह भी करीब-करीब तय हो गया कि अन्य राज्यों में विपक्षी गठबंधन या न बने लेकिन यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए इससे अलावा कोई विकल्प नहीं है. आंकड़े बताते हैं कि अगर एसपी-बीएसपी का गठबंधन हुआ तो बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है. एसपी-बीएसपी का वोट प्रतिशत भी बीजेपी से ज्यादा है. वोट प्रतिशत को सीटों में बदलने पर एसपी-बीएसपी गठबंधन को 57 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी की सीटें 2014 की 73 सीटों की तुलना में घटकर 73 तक गिर सकती हैं. ये आंकड़े बीजेपी खेमा की चिंता बढ़ाने वाले हैं.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment