डेटा चोरी के मामले में कंपनियों के एग्जिक्युटिव्स को हो सकती है 5 साल तक की जेल- executives-of-companies-could-be-jailed-for-5-years

नई दिल्ली: डेटा चोरी के मामलों में कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को 5 साल तक की जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। डेटा चोरी पर रोक के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट बिल में सुझाए गए प्रस्तावों में से एक यह भी है। बी.एन. श्रीकृष्णा कमिटी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को इस बिल का ड्राफ्ट सौंपा। इसके मुताबिक यदि किसी कंपनी के एग्जिक्युटिव्स की जानकारी में या उनकी लापरवाही के चलते डेटा और संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी की चोरी को अंजाम दिया जाता है तो उन्हें 5 साल जेल की सजा हो सकती है। कमिटी ने सुझाव दिया है कि डेटा प्रॉटेक्शन लॉ के उल्लंघन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाना चाहिए। ऐसा मामला सामने आने पर इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी के द्वारा ही जांच कराई जाएगी। इस प्रस्ताव से पड़ने वाले प्रभावों को लेकर गूगल, फेसबुक और ट्विटर के प्रवक्ताओं को सवाल भेजे गए थे, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। सोशल मीडिया और इंटरनेट की दिग्गज कंपनियों के पास करोड़ों लोगों का निजी डेटा स्टोर है। हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर श्रीकृष्णा कमिटी के सभी सदस्यों में एक राय नहीं है। डेटा सिक्यॉरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के सीईओ और कमिटी के मेंबर रामा वेदाश्री ने कहा, 'जुर्माने और मुआवजे के साथ ही आपराधिक दंड के प्रावधान को शामिल किए जाने से कानून को लागू करने का मेकेनिज्म बुरी तरह प्रभावित होगा।' ड्राफ्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति किसी संवेदनशील निजी जानकारी को लीक करता है तो उसे 5 साल की जेल या 3 लाख रुपये का जुर्माया या फिर दोनों की सजा हो सकती है। ड्राफ्ट में पासवर्ड्स, सेक्शुअल प्रिफरेंस, जाति, धर्म, आधार और टैक्स से जुड़ी जानकारियों को संवेदनशील डेटा में शामिल किया गया है। इसके अलावा पर्सनल डेटा के साथ छेड़छाड़ करने या बेचने के मामले में अधिकतम 3 साल की जेल या फिर 2 लाख रुपये के जुर्माने या दोनों की सजा मिल सकती है।
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment