नई
दिल्ली:
राफेल डील पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा एनडीए सरकार पर घपले के
आरोपों पर अब केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया है। जेटली ने कहा कि
कांग्रेस पार्टी का झूठे मुद्दे रचने का इतिहास है। जेटली ने फेसबुक पर
लिखे अपने कॉलम में कांग्रेस पर सिलसिलेवार तरीके से हमला किया। जेटली ने
कहा कि मुद्दों से ध्यान भटकाना कांग्रेस की आदत है। उन्होंने कहा कि 2019
में कांग्रेस को अपने लिए कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है इसलिए वह बीजेपी पर
आरोप लगा रही है। जेटली ने लिखा है कि 1989 में पूरे देश में कांग्रेस
पार्टी के खिलाफ बोफोर्स मुद्दे पर गुस्सा था। कांग्रेस के रणनीतिकार इस
मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए झूठे मुद्दे गढ़ने शुरू कर दिए थे।
सेंट किट्स में वी पी सिंह के बेटे के नाम पर एक बैंक अकाउंट खोला गया
ताकि कांग्रेस अपना चेहरा बचाने के लिए तर्क दे सके अगर हम भ्रष्ट हैं तो
आप भी कम नहीं हैं।
जेटली ने आगे लिखा कि 1999 में कारगिल संघर्ष के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के
नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का चुनावों में जीत की पूरी संभावना थी। उस
दौरान भी कांग्रेस ने पाकिस्तान को चीनी एक्सपोर्ट को मुद्दा बनाया था और
इसपर करीब दो दर्जन प्रेस कॉन्फ्रेंस किए गए थे तथा सरकार की राष्ट्रीयता
पर सवाल उठाए गए थे। असल मुद्दा यह था कि चांदनी चौक का कोई व्यापारी OGL
आइटम और चीनी पाकिस्तान एक्सपोर्ट कर रहा था। कहना जरूरी नहीं कि कांग्रेस
उस साल बुरी तरह चुनाव हारी और उसका झूठ का भी खात्मा हुआ। कांग्रेस पार्टी
और मौजूदा राजनीतिक स्थिति
जेटली ने आगे लिखा है कि मौजूदा स्थिति में कांग्रेस को यह खतरा महसूस हो
रहा है कि अगले चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन का एक तरह से जनमत
संग्रह होगा। पीएम मोदी और उनके विरोधियों के बीच लोकप्रियता का अंतर भी
चौड़ा होता जा रहा है।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के कई
हिस्सों में, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और तमिलनाडु में या
तो इस पार्टी का अस्तित्व नहीं है या फिर वह तीसरे और चौथे स्थान पर है। इन
राज्यों में लोकसभा की 50 फीसदी सीटें हैं। अगर कांग्रेस बची हुई सीटों पर
गठबंधन करती है तो उसे अपने सहयोगियों को कई राज्यों में ज्यादा सीटें
देनी पड़ सकती हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रभावी तौर केवल 225 सीटों पर चुनाव
लड़ेगी, जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से होगा। अगर कांग्रेस मुक्त भारत
का पहले पार्ट की स्क्रिप्ट बीजेपी ने लिखी थी तो फेडरल फ्रंट दूसरे पार्ट
की स्क्रिप्ट लिखने के लिए ज्यादा बेसब्र है। फ्रंट का कांग्रेस को साफ-साफ
संदेश है कि आपको हमें समर्थन देना होगा और कोई रास्ता नहीं बचता है।
कांग्रेस में भी कई लोगों को लगता है कि 2019 उनका चुनाव नहीं होने वाला
है। उन्हें 2024 के लिए अपनी ताकत झोंकनी चाहिए। हालांकि कांग्रेस मिड लेवल
के नेता जो 65-74 उम्र के बीच के हैं 2024 तक का इंतजार नहीं करना चाहते
हैं। उन्हें मालूम है कि 2019 उनका अंतिम मौका है।
अर्थव्यवस्था में कमजोरी का हवाला देकर सरकार पर हमला करना सही नहीं बैठ
रहा है क्योंकि मोदी सरकार के नेतृत्व में देश दुनिया की सबसे तेजी से
बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। कांग्रेस सीधे तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी पर
हमला कर रही है ताकि वह विपक्ष का तमगा हासिल कर पाए।
कांग्रेस की रणनीति
जब किसी पार्टी में वंशानुगत नेता होते हैं और जिसपर पर भष्टाचार के कलंक
हों तो मुश्किल और बढ़ती हैं। वहीं, पीएम मोदी एक भ्रष्टाचार मुक्त सरकार
का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में ऐसी पार्टी की रणनीति होती है तथ्यों को
मरोड़ना। अगर आपके पास मुद्दे नहीं हैं तो उसे बनाओ। यही कारण है कि राफेल
जैसा झूठा मुद्दा उठाया जा रहा है।
कांग्रेस की रणनीति दोहरी है। इसने पहले राफेल डील के मुद्दे को रचा।
हालांकि इस मुद्दे से उन्हें कुछ ज्यादा हासिल नहीं हुआ। यह दो सरकारों के
बीच का समझौता है और उसमें कोई निजी ग्रुप शामिल नहीं है। इस समझौते में
राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा शामिल है। सैन्य बलों ने राफेल को चुना था।
यूपीए के मंत्रियों ने भी कभी हथियारों की कीमतों का खुलासा नहीं किया था
क्योंकि यह राष्ट्रहित में नहीं था। इसमें सरकार का कोई लेना देना नहीं था।
सत्य की हमेशा जीत होती है और कांग्रेस का झूठ बेनकाब हुआ। जब राहुल गांधी
ने बयान दिया की फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने उन्हें कहा था
कि इस समझौते में कोई गोपनीय डील नहीं है उसके तुरंत बाद ही उनका यह बयान
गलत साबित हो गया। इसके बाद कांग्रेस ने राफेल मुद्दे को दूसरी जगह
केंद्रित कर दिया।
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राफेल डील: अरुण जेटली का हमला, कहा- कांग्रेस पार्टी का झूठे मुद्दे रचने का इतिहास- the-congress-party-and-the-fake-issue-of-rafale
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