निर्भया केस: दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, पिता चाहते हैं फांसी हो- nirbhaya-gangrape-and-murder-case

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर आज दोपहर करीब 2 बजे फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और मर्डर के चारों दोषियों को पिछले साल 5 मई को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद इन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट अगर फांसी की सजा बरकरार रखात है तो दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और फिर दया याचिका का विकल्प है। निर्भया के पिता ने एनबीटी को बताया कि उन्हें न्याय की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि निर्भया देश की बेटी थी और देश को इस फैसले का इंतजार है। उन्होंने आगे कहा कि निर्भया के साथ गैंगरेप और मर्डर करने वालों को जिस दिन फांसी पर लटकाया जाएगा, उसी दिन मुझे और देश को तसल्ली मिलेगी। निर्भया के पिता ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की पूरी उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट से अगर फांसी की सजा बरकरार रहती है उसके बाद बस वह देखना चाहते हैं कि कब इन चारों दोषियों को फांसी के तख्त पर लटकाया जाता है। बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने बताया कि पवन और विनय की ओर से उनकी रिव्यू पिटिशन पर दलील पूरी हो चुकी थी, लेकिन अक्षय की ओर से रिव्यू पिटिशन बाद में दाखिल की गई जिस कारण उस पर दलील नहीं हो पाई और दलील पेश किया जाना बाकी है। वहीं, मुकेश की ओर से वकील एमएल शर्मा ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दलील पेश कर चुके हैं। "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि वह महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं।" -निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह सरकारी वकील ने दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने की गुहार लगाई है। कोर्ट ने तीन दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद 4 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. भानुमति की बेंच सोमवार को निर्भया गैंगरेप और मर्डर में फांसी की सजा पाए दोषियों की अर्जी पर फैसला सुनाएगी। रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में कोर्ट ने चारों मुजरिमों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की फांसी की सजा को पिछले साल 5 मई को बरकरार रखा था। कोर्ट ने कहा था कि ये मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा था कि पीड़िता ने मरने से पहले जो बयान दिया, वह बेहद अहम और पुख्ता साक्ष्य है। इस मामले ने देशभर को झकझोर कर रख दिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद इन दोषियों ने एक-एक कर रिव्यू पिटिशन दाखिल की। नियम के तहत रिव्यू पिटिशन की ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद 4 मई 2018 को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। 9 महीने के अंदर आया था फैसला निचली अदालत ने 13 सितंबर, 2013 को चारों को फांसी की सजा सुनाई थी और चारों की सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट को रेफर किया था। साकेत स्थित फार्स्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंगरेप और हत्या के लिए दोषी करार दिया था। चारों को हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था। हाई कोर्ट का फैसला... 
निचली अदालत ने सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट भेजा था। साथ ही चारों दोषियों ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की जस्टिस रेवा खेत्रपाल और जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई के बाद 13 मार्च 2014 को इस मामले में चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की अपील भी खारिज कर दी थी और फांसी की सजा बरकरार रखी थी। 

पिता बोले, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं 
निर्भया के पिता ने एनबीटी से कहा कि उन्हें इस बात का पता है कि रिव्यू पिटिशन अगर खारिज हो जाए तो फिर क्यूरेटिव पिटिशन भी दोषियों की ओर से दाखिल की जाएगी और फिर राष्ट्रपति के सामने दया याचिका भी दायर होगी। वह कहते हैं कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। उन्हें भारतीय न्याय तंत्र पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट से अगर फांसी की सजा बरकरार रहती है तो जब भी मर्सी पिटिशन दाखिल हो तो सरकार को चाहिए कि वह जल्दी से जल्दी मर्जी पिटिशन का निपटारा करें। निर्भया के पिता ने कहा कि वह, समाज और देश के लोग निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकते देखना चाहते हैं। 

घटना से हिल गया था देश 
जब यह घटना घटी थी तो पूरा देश हिल गया था। लोग सड़कों पर उतर आए थे। घटना की भयावहता ऐसी थी कि सरकार को रेप लॉ में बदलाव करना पड़ा और सख्त सजा का प्रावधान किया गया। केस की सुनवाई के लिए निचली अदालत की सुनवाई फार्स्ट ट्रैक की गई। साल भर में निचली अदालत में फैसला भी आ गया लेकिन इसके बाद दोषियों ने कानून का सहारा लिया और फिर पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पाने के बाद रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई। 

सारी हदें पार की गईं 
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि ये मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अत्यंत बर्बरता की गई और सारी हदें पार कर दी गईं। लड़की के साथ चलती बस में बलात्कार किया गया, इस दौरान उसके शरीर पर तमाम जगहों पर दोषियों ने दांत काटे थे। इतना ही नहीं उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी गई और ये हरकत कई बार की गई। 

उसके शरीर का अंदरूनी अंग बाहर निकाल दिया गया। चलती बस से उसे नीचे फेंक दिया गया। उसके दोस्त को भी नीचे फेंका गया। ठंड में उनके शरीर पर कपड़े तक नहीं थे। उन्हें मरने के लिए नीचे फेंका गया। साथ ही उनके शरीर पर बस चढ़ाने की भी कोशिश की गई ताकि कोई सबूत न बचे। लड़की को बाद में सिंगापुर तक इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन वह बचाई नहीं जा सकी। 

जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने दो अलग-अलग फैसले लिखे थे लेकिन तीनों जजों ने एक मत से हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए फांसी की सजा सुनाई। अपने फैसले में जस्टिस आर. भानुमति ने कहा था कि जिस तरह से लड़की के साथ हिंसा और दरिंदगी की गई, ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं होगा तो कौन सा केस होगा।
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