रॉ ने एक साल में जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के चार अफसर निकाले-raw-sacks-4-joint-secretary-level-officers-for-non-performance

नई दिल्ली : विदेश में गतिविधियां चलाने वाली प्रीमियर इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च ऐनालिसिस विंग + यानी रॉ पिछले एक साल में कमजोर परफॉर्मेंस के चलते अपने चार सीनियर अफसरों को कार्यकाल पूरा होने से पहले निकाल चुकी है। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इंटेलिजेंस एजेंसी ने जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के चार अफसरों को उनके सर्विस रेकॉर्ड के रिव्यू और एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल के बाद समय से पहले कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया है। यह फैसला डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के रूल्स के हिसाब से किया गया, जो सरकार को नॉन परफॉर्मर्स को सर्विस के 30 साल या उम्र के 50 साल पूरे होने पर नौकरी से हटाने का अधिकार देता है। मौजूदा सरकार इस रूल को पुरजोर तरीके से लागू कराना चाहती है, लेकिन कई डिपार्टमेंट्स में उसे थोड़ी-बहुत कामयाबी ही मिल पाई है। 11 सितंबर 2015 को डीओपीटी + की तरफ से जारी ऑर्डर के मुताबिक, जनहित में सरकारी कर्मचारियों के समूचे सर्विस रेकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद फंडामेंटल रूल 56 (j) या सीसीएस (पेंशन) रूल्स के रूल 48 के तहत उनकी सेवाएं समय से पहले खत्म की जा सकती हैं। डीओपीटी ने कंपलसरी रिटायरमेंट को वैध करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का हवाला देते हुए कहा था कि रूल का इस्तेमाल संदिग्ध आचरण वाले अफसरों को हटाने में किया जा सकता है, अगर उनके खिलाफ दंडात्मक अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलते हैं। चार अफसरों के मामले पर आर्टिकल 56 (j) के तहत विचार किया गया था क्योंकि उनकी उम्र 50 साल से ज्यादा हो गई थी। पर्सनल डिपार्टमेंट के मिनिस्टर ऑफ स्टेट जितेंद्र सिंह ने पिछले साल 20 दिसंबर को संसद में कहा था कि 1 जुलाई 2014 से 31 अक्टूबर 2017 के बीच FR 56 (j) के प्रोविजंस और सर्विस रूल्स के प्रोविजंस सेंट्रल सिविल सर्विसेज के 53 ग्रुप ए ऑफिसर्स और 123 ग्रुप बी ऑफिसर्स के मामलों में लागू किए गए या उसकी अनुशंसा की गई। R&AW पहले R&AW ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस काडर के संदिग्ध आचरण वाले एंप्लॉयीज को रिटायरमेंट से पहले निकालने के लिए 'गोल्डन हैंडशेक' रूट पर चलता था। इस रूल का इस्तेमाल करके रिटायर किए जाने वाले अफसरों के पास सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देने का पूरा अधिकार होता है। जिन मामलों में किसी अफसर को नैशनल सिक्यॉरिटी संबंधी वजहों से निकाला जाता है, उन्हें यह अधिकार नहीं होता। पता चला है कि चारों इंटेलिजेंस अफसरों ने डिसमिस होने से पहले कई अहम यूरोपीय देशों में सेवाएं दी थीं। इससे पहले रॉ में डायरेक्टर लेवल की ऑफिसर निशा प्रिया भाटिया को इसी तरह डिसमिस किया गया था। उन्हें 2009 में कंपलसरी रिटायरमेंट दिया गया था। उन्होंने दो साल पहले अपने एक सहकर्मी पर नवंबर 2007 में यौन शोषण का आरोप लगाया था।
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