समलैंगिकता पर पाबंदी के खिलाफ है RSS-BJP, एक सुर में कहा- खत्म हो धारा 377- homosexuality-should-be-private-matter-article-377-should-ban-says-rss-bjp-leadera

सोलन: संविधान की धारा 377 को खत्म किया जा सकता है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पहले ही इसे खत्म करने पर हामी भर चुकी है, वहीं रविवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं ने भी इस कानून पर बैन लगाने की बात कही. हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के कसौली में इंडिया फाउंडेशन की ओर से यंग थिंकर्स मीट का आयोजन किया गया था. इसमें संघ के बड़े चेहरों के अलावा बीजेपी के महासचिव राम माधव, सांसद अनुराग ठाकुर सरीखे नेता पहुंचे थे. सभी एक सुर में कहा कि धारा 377 व्यक्ति की निजता पर हमला है. ऐसे कानून को खत्म करना चाहिए. इस मीट में आरएसएस के डॉ. कृष्णगोपाल, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, सांसद व अभिनेत्री रूपा गांगुली, हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर व शौर्य डोभाल सहित कई लोग मौजूद रहे. इसके अलावा इसमें शोधकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी, आइआइटी, आइआइएम, जेएनयू, दिल्ली विवि, मीडिया व अन्य कई क्षेत्रों से जुड़े करीब 90 युवा पहुंचे. इंडिया फाउंडेशन के निदेशक व बीजेपी महासचिव राम माधव ने बताया कि फाउंडेशन हर साल ऐसी मीट का आयोजन अलग-अलग क्षेत्रों में करती है. इसमें देश के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े युवा विचारकों को बुलाया जाता है. मीट में इस बार का विषय ‘न्यू ऐज लीडरशिप’ रहा. इसमें वर्तमान में भारत की राजनीति, यूथ एक्टिविजम इन इंडिया, 21वीं सदी की गवर्नेस समेत अन्य कई विषयों पर स्पीकरों ने अलग अलग सेशन में युवाओं के साथ विचार साझा कर चर्चा की.पुराने कांग्रेसी पेमा खांडू ने राहुल के नेतृत्व पर उठाए सवाल लंबे समय तक कांग्रेस में रहे अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए. पेमा ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में जब तक कांग्रेस काम करेगी तब तक इस पार्टी का विकास नहीं हो पाएगा. कांग्रेस में कई अच्छे नेता हैं, लेकिन उन्हें आगे ही नहीं आने दिया जाता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कमजोर होने पर ही क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हुई हैं. क्या है आईपीसी की धारा 377 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को गैर कानूनी माना गया है. यहां तक की इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है. आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा. उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. यह गैर जमानती अपराध है. मालूम हो कि साल 1290 में इंग्लैंड के फ्लेटा में अप्राकृतिक संबंध बनाने का मामला सामने आया, जिसके बाद पहली बार कानून बनाकर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया. बाद में ब्रिटेन और इंग्लैंड में 1533 में बगरी (अप्राकृतिक संबंध) एक्ट बनाया गया और इसके तहत फांसी का प्रावधान किया गया. 1563 में क्वीन एलिजाबेथ-1 ने इसे फिर से लागू कराया. 1817 में बगरी एक्ट से ओरल सेक्स को हटा दिया गया और 1861 में डेथ पेनाल्टी का प्रावधान भी हटा दिया गया. 1861 में ही लॉर्ड मेकाले ने इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) ड्राफ्ट किया और उसी के तहत धारा-377 का प्रावधान किया गया. LGBTQ समुदाय के तहत लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंटर और क्वीयर आते हैं. एक अर्से से इस समुदाय की मांग है कि उन्हें उनका हक दिया जाए और धारा 377 को अवैध ठहराया जाए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में सलाह मांगी है.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment