ट्रंप को चुनें या ईरान का सस्ता तेल, असमंजस की स्थिति में मोदी सरकार-trump-or-cheap-iran-oil-pm-modi-is-in-dilemma-after-us-embargo

नई दिल्ली ईरान से तेल खरीद को लेकर अमेरिका की नसीहत ने पीएम नरेंद्र मोदी को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। यदि भारत ईरान के साथ तेल की खरीद में कमी करता है तो उसके अमेरिका के साथ कारोबारी संबंध सुधरेंगे, लेकिन दूसरी तरफ सस्ते तेल और कीमत फॉरेन एक्सचेंज का नुकसान भी उठाना पड़ेगा। इस साल मार्च तक एक साल की अवधि में भारत ने ईरान से 9 अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत पहले ही अमेरिका से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। यदि भारत ने ईरान से तेल की खरीद कम की तो उससे शिपिंग कॉस्ट बढ़ेगी और भारत पर लागत का अधिक बोझ आएगा। इसके अलावा सबसे लंबे समय तक के लिए क्रेडिट पीरियड की सुविधा भी भारत खो देगा। हालांकि इसका एक लाभ यह होगा कि अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक संबंध नई ऊंचाई पर होंगे और खासतौर पर चीन के साथ यूएस के ट्रेड वॉर के दौर में यह खासा महत्वपूर्ण होगा। लंदन स्थित इंटरफैक्स एनर्जी में सीनियर एनर्जी एनालिस्ट अभिषेक कुमार ने कहा, 'आने वाले दिनों में ईरान पर लागू होने वाले प्रतिबंध से भारत में अमेरिकी तेल के कमर्शनलाइजेशन का सुनहरा मौका होगा।' इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापारिक तनाव भी भारत में अमेरिकी तेल के आयात को बढ़ाने का काम करेगा। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से ही भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए तमाम तरह के विकल्पों पर विचार कर रहा है। जानें, ट्रंप की रणनीति से ईरान और चीन पर होंगे क्या असर ईरान: अमेरिकी फैसले के चलते भारत की ओर से ईरान से कच्चे तेल की खरीद में कमी की जा सकती है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान का समर्थन करने को लेकर यूरोप को नसीहत दी थी। ईरान ने अमेरिका से अपील की है कि वह अपने ऑइल रिजर्व का इस्तेमाल न करे। यदि कच्चे तेल की सप्लाई में इजाफा होता है तो फिर कीमतें काफी नीचे आ सकती हैं। चीन: ट्रेड वॉर के चलते अमेरिकी आयात में चीन की हिस्सेदारी घटी है। आईएमएफ ने भी चीन को ट्रेड वॉर की वजह से मुश्किल में फंसी इकॉनमी करार दिया है। चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर के चलते भारत को कई प्रॉडक्ट्स पर छूट भी मिल सकती है। जैसे, अमेरिका की ओर से भारत तो स्टील और एल्युमिनियम में टैक्स छूट दी जा सकती है।
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