H-1B: ट्रंप के खिलाफ ऐपल समेत 59 यूएस कंपनियों के सीईओ, बताए बदलावों के नुकसान

न्यू यॉर्क :अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा नियमों में किए जा रहे बदलावों के खिलाफ अब वहीं के टॉप बिजनस लीडर्स ने आवाज उठाई है। लगभग 59 कंपनियों के सीईओज ने इस मामले से जुड़ा एक पत्र लिखा है। पत्र में टॉप बिजनस लीडर्स ने बताया है कि कैसे ये बदलाव अमेरिका की आर्थिक वृद्धि की दर को कमजोर कर सकते हैं। पत्र लिखने वाले मुख्य लोगों में ऐपल के टिम कुक, जेपी मॉर्गन के जेमी डीमन और पेप्सिको की इंदिरा नूई शामिल हैं। पत्र बुधवार को बिजनस राउंड टेबल नाम के संगठन ने भेजा। यह वॉशिंगटन का एक ग्रुप है जिसमें यूएस के प्रमुख कार्यकारी लोग मौजूद हैं। पत्र में प्रमुखता से हाइ स्किल इमिग्रेशन में हुए बदलावों को उठाया गया है। पत्र की शुरुआत में लिखा है, 'फिलहाल सरकार इमीग्रेशन नियमों का रिव्यू कर रही है। हम मानते हैं कि ऐसे बदलावों को करने से बचना चाहिए जिसकी वजह से यूएस में रह रहे हजारों हुनरमंद कर्मचारियों और कानून का पालन कर रहे लोगों को परेशानी हो। इसकी वजह से यूएस की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर भी असर पड़ेगा।' पत्र में आगे लिखा गया है, 'ट्रंप बाहर से आने वाले हुनरमंद लोगों पर लगाम लगाना चाहते हैं, जबकि यहां के अर्थशास्त्री भी मान चुके हैं कि उन हुनरमंदों से यूएस को ही फायदा हो रहा है।' पत्र में स्कील्ड फॉरन वर्कर्स के आवेदनों पर जिस तरीके का रवैया अपनाया जा रहा है उसपर भी सवाल उठाए हैं। इस कैटिगरी में आईटी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के साथ-साथ आर्किटेक्ट, अर्थशास्त्री, चिकित्सक और शिक्षक भी आते हैं। क्या है मामला ट्रंप ने कार्यकाल संभालते ही साफ किया था कि उनका प्रशासन अमेरिकी नौकरियों में स्थानीय लोगों को तवज्जो देगा। ट्रंप के इस ऐलान से भारतीयों को भी झटका लगा था, क्योंकि H-1B वीजा के दम पर लाखों भारतीय अमेरिका में काम कर रहे हैं। क्या है H-1B वीजा? अमेरिका के इमिग्रेशन ऐंड नैशनलिटी ऐक्ट के सेक्शन 101(a)(15)(H) के तहत H-1B वीजा जारी किया जाता है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता श्रेणी में किसी विदेशी कामगार को वीजा देती हैं। इस वीजा को हासिल करने के लिए अभ्यर्थी को कम-से-कम ग्रैजुएट होना जरूरी है।
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