नई दिल्ली:बीजेडी चीफ नवीन पटनायक + की नजर लगातार पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने की है। इसी रणनीति के तहत आगे बढ़ते हुए उन्होंने राज्यसभा डेप्युटी स्पीकर पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश को अपना समर्थन दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पटनायक का ट्रेडमार्क है और राजनीति में भावुकता को पूरी तरह से अलग रखकर फैसले ले सकने की क्षमता का ही एक और उदाहरण है। पटनायक के इस फैसले से खुद बीजेडी के भी कुछ नेता हैरान रह गए। बीजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'हमें उम्मीद थी कि नवीन बाबू एनडीए के उम्मीदवार का विरोध करेंगे क्योंकि ओडिशा में इस वक्त भगवा पार्टी का प्रसार तेजी से हो रहा है। हम उम्मीद कर रहे थे कि हरिवंश + यूं तो बीजेपी नहीं जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन हमें लग रहा था कि वह एनडीए के साथ नहीं जाएंगे।' एक अन्य बीजेडी नेता ने कहा कि इस फैसले की एक वजह यह भी है कि फिलहाल पार्टी चीफ राज्य में प्रमुख चुनौती कांग्रेस को ही मान रहे हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जिन्हें लगता है कि इस समर्थन के पीछे जरूर कोई बड़ी राजनीतिक डील बीजेडी और बीजेपी के बीच हुई है। बीजेडी के राज्यसभा + में 9 सांसद हैं और एनaडीए उम्मीदवार की जीत में यह एक निर्णायक आंकड़ा था। डेप्युटी स्पीकर के चुनाव को कुछ लोग 'सेक्युलर पार्टियों' और बीजेपी के बीच की लड़ाई के तौर पर देख रहे थे। ओडिशा के सीएम ने सभी पक्षों को ध्यान में रखकर राजनीतिक समीकरणों के जोड़-घटाव के बाद यह फैसला लिया।
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