संसद में पेश किया जाएगा SC/ST अत्याचार निवारण बिल, कैबिनेट ने दी मंजूरी- st-prevention-bill-in-monsoon-session

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण बिल के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पूरा देश हिंसा की आग में जल चुका है. इस बिल में संशोधन के खिलाफ तमाम दलित संगठन एकजुट हैं, चाहें वे एनडीए के घटक दल क्यों ना हों. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोकजन शक्ति पार्टी समेत अन्य दलित संगठनों ने इस बिल पर चर्चा के लिए इसे संसद में पेश करने की मांग की थी. कैबिनेट ने बुधवार को इस बिल को मॉनसून सत्र में पेश करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. हालांकि इस पर चर्चा के समय को लेकर अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है. बता दें कि इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति/जनजाति ऐक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया था. बस कोर्ट का फैसला आना था और दलित संगठन भड़क गए. सुप्रीम कोर्ट इस फैसले के बाद तमाम दलित संगठनों ने दो अप्रैल को ऐतिहासिक भारत बंद का आह्वान किया था. इस बंद की खासीयत यह थी कि बिना किसी राजनीतिक संगठन के सहयोग के देशभर के लाखों दलित सड़कों पर उतर आए. लेकिन यह बंद कुछ ही समय बाद हिंसक आंदोलन के रूप में बदल गया. इस बंद के दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत कई इलाकों में हिंसा के दौरान कई लोग मारे गए थे और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था. क्या है मामला मामला यह था कि महाराष्ट्र में एक शख्स ने एक सरकारी अधिकारी सुभाष काशीनाथ महाजन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी के करने तथा दो जूनियर कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर रोक लगाने का आरोप लगाया था. और पुलिस में मामला दर्ज कराया था. काशीनाथ महाजन ने पुलिस रिपोर्ट को खारिज कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. महाजन ने अब सुर्पीम कोर्ट में अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने महाजन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया और कोर्ट ने ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी.
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