नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की कीमतें सातवें आसमान पर हैं. दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में दाम रिकॉर्ड हाई पर हैं. आम आदमी से लेकर विपक्ष तक सरकार को इस मसले पर घेर रहे हैं. कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर भारत बंद भी किया है. लेकिन, क्या मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर चिंतित नहीं है? ऐसा बिल्कुल नहीं है. पेट्रोलियम मंत्री से लेकर वित्त मंत्रालय तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रित करने के विकल्प तलाश रहा है. लेकिन, मोदी सरकार मजबूर है. क्योंकि, उसके आगे कई चुनौतियां हैं, जिससे उसे निपटना है. लेकिन, वो कारण क्या हैं? आइये जानते हैं.
फिलहाल क्या है दाम
देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल की कीमत 80.73 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, डीजल के दाम 72.83 रुपए प्रति लीटर हो गए. देश में सबसे महंगा पेट्रोल मुंबई में है, जहां इसके दाम 88.12 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. वहीं, मुबंई में डीजल की कीमतें 77.32 रुपए प्रति लीटर हो गईं.
चालू खाता घाटे का बिगड़ेगा गणित
सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर निश्चित ही चिंतित होगी, लेकिन पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाना उसे भारी पड़ सकता है. दरअसल, अगर एक्साइज ड्यूटी कम की जाती है तो सरकार को चालू खाते का घाटा लक्ष्य से ऊपर निकल सकता है. ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर अपने खजाने को अस्थिर नहीं करना चाहेगी.
पब्लिक एक्सपेंडिचर में कटौती
सीनियर एनालिस्ट अरुण केजरीवाल के मुताबिक, अगले साल चुनाव होने हैं, सरकार को इसे ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों को देखने है. अगर सरकार पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी कट करती है तो उसका वित्तीय गणित बिगड़ सकता है. इसे पूरा करने के लिए उसे पब्लिक एक्सपेंडिचर यानी सार्वजनिक व्यय में कटौती करनी पड़ेगी. अगर ऐसा हुआ तो विकास कार्य बाधित हो सकते हैं और चुनाव के समय में सरकार ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहेगी.
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments:
Post a Comment